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Battle of Rajasthan: बीजेपी-कांग्रेस के गले की हड्डी बन सकते हैं बागी और छोटे दल? आंकड़ों से समझें पूरा गणित

25 सितंबर को राज्य के 199 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हो चुकी है और प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम के अंदर कैद है. चूंकि इस बार राजस्थान विधानसभा चुनाव में बंपर वोटिंग हुई तो मुकाबला भी रोमांचक होना तय है, ऐसे में परिणाम एकतरफा और दिलचस्प भी हो सकता है.

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Battle of Rajasthan: बीजेपी-कांग्रेस के गले की हड्डी बन सकते हैं बागी और छोटे दल? आंकड़ों से समझें पूरा गणित
प्रतीकात्मक तस्वीर

Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान में अगली सरकार कौन बनेगी, इसका फैसला आगामी 3 दिसंबर होने वाली मतगणना से तय हो जाएगा, लेकिन अगर दोनों ही प्रमुख दल मसलन भाजपा और कांग्रेस सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए जादुई आंकड़े से दूर रह गए तो छोटे दल और बागी उम्मीदवारों की अहमियत समझी जा सकती है.

25 सितंबर को राज्य के 199 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हो चुकी है और अब प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम के अंदर कैद है. चूंकि इस बार विधानसभा चुनाव में बंपर वोटिंग हुई तो मुकाबला भी रोमांचक होना तय है, ऐसे में परिणाम एकतरफा और दिलचस्प भी हो सकता है.

गौरतलब है इस चुनाव में राजस्थान में कुछ बागी नेता और 6 छोटी पार्टियां भी चुनावी मैदान में हैं. छोटे दल और बागी नेता BJP और Congress के उम्मीदवारों को चुनौती दे रहे हैं. 3 दिसंबर को अगर छोटे दल और निर्दलीय चुनाव लड़े बागी नेता दोनों दलों पर भारी पड़े तो दोनों दलों के लिए सत्ता की कुर्सी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ सकती है. 

आइए जानते हैं कि राजस्थान चुनाव (Rajasthan Voting) में बीजेपी-कांग्रेस के सामने छोटी पार्टियों की क्या भूमिका है और वो BJP-Congress का चुनावी गणित कैसे और कितना बिगाड़ सकते हैं:-

राजस्थान के वोटर्स 1998 के विधानसभा चुनावों के बाद से 'हर पांच साल बाद सरकार बदलते रहे हैं. 1998 से राजस्थान में एक बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस की सरकार बनी है. हालांकि, छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 200 सीटों वाले विधानसभा में 100 के जादुई आंकड़े को पार करने के लिए अपना निर्णायक समर्थन दिया है.

वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में बीजेपी ने 2013 के चुनावों में निर्णायक जीत हासिल की थी. इसके बाद 2018 में अशोक गहलोत को निर्दलीय और छोटे दलों का महत्वपूर्ण समर्थन पाने के लिए एक से अधिक बार अपना जादू चलाना पड़ा था.

पिछले चुनाव में प्रदेश के छोटे दलों को करीब 12 फीसदी वोट मिले थे. इसलिए ये छोटे दल दोनों प्रमुख पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के लिए अपरिहार्य हो गए हैं. ये छोटी पार्टियां जिसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी, वह 2023 की रेस में उतना ही पिछड़ता चला जाएगा. पिछले चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी दोनों दलों के वोट शेयर सिर्फ आधी फीसदी का मामूली अंतर था.

राजस्थान में कुल 5.27 करोड़ मतदाता हैं. इनमें 2.52 करोड़ महिलाएं हैं. यह आंकड़ा कुल मतदाताओं का करीब 48% है.

ये पार्टियां कर सकती हैं खेल

राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी (BSP), आजाद समाज पार्टी (ASP), इंडियन ट्राइबल पार्टी (ITP), AIMIM ने उम्मीदवार उतारे हैं. हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (NDP), आम आदमी पार्टी (AAP), बीटीपी से अलग होकर बनीं बीएपी, अभय चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP), शिवसेना शिंदे गुट ने भी प्रत्याशी उतारे हैं.

2013 में बीजेपी को बंपर बहुमत मिला था. लिहाज़ा छोटे दलों की भूमिका जीरो हो गई थी. लेकिन 2018 में तस्वीर अलग थी.

छोटे दलों की अहमियत 

वैसे तो राजस्थान के चुनाव में BJP और Congress के बीच सीधी टक्कर है, लेकिन चुनावी पंडित बताते हैं कि 200 सीटों में से 50 सीटों पर बागी उम्मीदवारों और छोटे दल असर डाल सकते हैं. ऐसे में चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी...दोनों की नजर इन छोटे दलों पर टिकी है. क्योंकि नतीजे अगर मनमाफिक नहीं आए, तो छोटे दलों के हाथ में सत्ता की चाबी आ जाएगी.

2013 और 2018 में छोटे दलों के खाते में कितनी सीटे आईं?
पार्टी                   2013                   2018
बीजेपी                 163                     73
कांग्रेस                  21                     100
निर्दलीय                07                      13 
बीएसपी                03                       06   
आरएलटीपी           00                      03
बीटीपी                  00                      02
सीपीएम                00                      02
आरएलडी              00                      01 
एनपीईपी               04                      00
एनयूजेडपी             02                     00  

बेशक सीटें पूरी कहानी नहीं कहती. चुनाव में वोट प्रतिशत भी बहुत मायने रखता है. कई बार वोट शेयर सत्ता समीकरणों को बिगाड़ और बना सकता है. यही वजह है कि निर्दलीय और छोटे दलों की अहमियत बढ़ जाती है.

छोटे दलों का वोट शेयर
निर्दलीय                 9.47
बीएसपी                 4.03
आरएलपी               2.40
सीपीएम                 1.22
बीटीपी                   0.72
अन्य                     3.79

आंकड़ों से साफ है कि राजस्थान की सियासत में भले ही छोटे दलों के खाते में सीटें कम आएं, लेकिन इनके वजूद को कोई भी पार्टी नकार नहीं सकती. क्योंकि जनादेश स्पष्ट नहीं हुआ, तो फिर सत्ता का खेल इन्हीं के इर्द गिर्द घूमता दिखाई देगा.

महिला वोटर किसके साथ?

राजस्थान में सबकी नजरें महिला मतदाताओं पर हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए कई वादे किए हैं. आंकड़ें यह भी बता रहे हैं कि इस चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक रही है. यही नहीं, महिलाओं का मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है.

2018 विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक वोट डाला. 2018 में कुल 74.06% वोटिंग हुई. इनमें 74.67% महिला मतदाता और 73.09% पुरुष मतदाता थे.

महिलाओं की राजनीतिक पसंद क्या?

CSDS-लोकनीति के सर्वे के अनुसार, 2018 विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने कांग्रेस, बीजेपी को बराबर यानी 40-40% वोट दिया. जबकि 2013 विधानसभा चुनाव में 47% महिला मतदाताओं ने बीजेपी और 34% महिला मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट दिया. बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में 20 और कांग्रेस ने 28 महिलाओं को टिकट दिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 और कांग्रेस ने 27 महिलाओं को टिकट दिया था.

ये भी पढ़ें-Rajasthan Election 2023: चुनाव आयोग ने साझा किया फाइनल डेटा, इस बार राजस्थान में 75.45 फीसदी हुई वोटिंग

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