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Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान में अगली सरकार कौन बनेगी, इसका फैसला आगामी 3 दिसंबर होने वाली मतगणना से तय हो जाएगा, लेकिन अगर दोनों ही प्रमुख दल मसलन भाजपा और कांग्रेस सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए जादुई आंकड़े से दूर रह गए तो छोटे दल और बागी उम्मीदवारों की अहमियत समझी जा सकती है.
गौरतलब है इस चुनाव में राजस्थान में कुछ बागी नेता और 6 छोटी पार्टियां भी चुनावी मैदान में हैं. छोटे दल और बागी नेता BJP और Congress के उम्मीदवारों को चुनौती दे रहे हैं. 3 दिसंबर को अगर छोटे दल और निर्दलीय चुनाव लड़े बागी नेता दोनों दलों पर भारी पड़े तो दोनों दलों के लिए सत्ता की कुर्सी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ सकती है.
आइए जानते हैं कि राजस्थान चुनाव (Rajasthan Voting) में बीजेपी-कांग्रेस के सामने छोटी पार्टियों की क्या भूमिका है और वो BJP-Congress का चुनावी गणित कैसे और कितना बिगाड़ सकते हैं:-
वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में बीजेपी ने 2013 के चुनावों में निर्णायक जीत हासिल की थी. इसके बाद 2018 में अशोक गहलोत को निर्दलीय और छोटे दलों का महत्वपूर्ण समर्थन पाने के लिए एक से अधिक बार अपना जादू चलाना पड़ा था.
पिछले चुनाव में प्रदेश के छोटे दलों को करीब 12 फीसदी वोट मिले थे. इसलिए ये छोटे दल दोनों प्रमुख पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के लिए अपरिहार्य हो गए हैं. ये छोटी पार्टियां जिसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी, वह 2023 की रेस में उतना ही पिछड़ता चला जाएगा. पिछले चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी दोनों दलों के वोट शेयर सिर्फ आधी फीसदी का मामूली अंतर था.
ये पार्टियां कर सकती हैं खेल
राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी (BSP), आजाद समाज पार्टी (ASP), इंडियन ट्राइबल पार्टी (ITP), AIMIM ने उम्मीदवार उतारे हैं. हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (NDP), आम आदमी पार्टी (AAP), बीटीपी से अलग होकर बनीं बीएपी, अभय चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP), शिवसेना शिंदे गुट ने भी प्रत्याशी उतारे हैं.
छोटे दलों की अहमियत
वैसे तो राजस्थान के चुनाव में BJP और Congress के बीच सीधी टक्कर है, लेकिन चुनावी पंडित बताते हैं कि 200 सीटों में से 50 सीटों पर बागी उम्मीदवारों और छोटे दल असर डाल सकते हैं. ऐसे में चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी...दोनों की नजर इन छोटे दलों पर टिकी है. क्योंकि नतीजे अगर मनमाफिक नहीं आए, तो छोटे दलों के हाथ में सत्ता की चाबी आ जाएगी.
2013 और 2018 में छोटे दलों के खाते में कितनी सीटे आईं?
पार्टी 2013 2018
बीजेपी 163 73
कांग्रेस 21 100
निर्दलीय 07 13
बीएसपी 03 06
आरएलटीपी 00 03
बीटीपी 00 02
सीपीएम 00 02
आरएलडी 00 01
एनपीईपी 04 00
एनयूजेडपी 02 00
छोटे दलों का वोट शेयर
निर्दलीय 9.47
बीएसपी 4.03
आरएलपी 2.40
सीपीएम 1.22
बीटीपी 0.72
अन्य 3.79
महिला वोटर किसके साथ?
राजस्थान में सबकी नजरें महिला मतदाताओं पर हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए कई वादे किए हैं. आंकड़ें यह भी बता रहे हैं कि इस चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक रही है. यही नहीं, महिलाओं का मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है.
महिलाओं की राजनीतिक पसंद क्या?
CSDS-लोकनीति के सर्वे के अनुसार, 2018 विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने कांग्रेस, बीजेपी को बराबर यानी 40-40% वोट दिया. जबकि 2013 विधानसभा चुनाव में 47% महिला मतदाताओं ने बीजेपी और 34% महिला मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट दिया. बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में 20 और कांग्रेस ने 28 महिलाओं को टिकट दिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 और कांग्रेस ने 27 महिलाओं को टिकट दिया था.
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