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Rajasthan Politics: भजनलाल सरकार पर सचिन पायलट का बड़ा हमला, बोले- 'राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ'

Rajasthan By Election 2024: सचिन पायलट ने अपने भाषण में लोगों से कहा कि भाजपा सभी जाति के मंत्रियों को गली-गली में घुमाएगी, लेकिन आप बहकावे में मत आना. भाजपा के मंत्री भले ही दौसा में डेरा जमाए रहें, लेकिन सातों विधानसभाओं पर कांग्रेस पार्टी ही चुनाव जीतेगी.

Rajasthan Politics: भजनलाल सरकार पर सचिन पायलट का बड़ा हमला, बोले- 'राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ'
दौसा में सचिन पायलट.

Rajasthan News: राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को वोटिंग होने वाली है. इस बार दौसा विधानसभा हॉट सीट है, क्योंकि यहां से किरोड़ी लाल मीणा और सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. दोनों ही नेता अपनी-अपनी जीत का दावा कर चुके हैं. मगर जनता किसका साथ देगी, ये 23 नवंबर को रिजल्ट वाले दिन पता चल जाएगा. बहरहाल, प्रदेश में सियासत गरमाई हुई है, और नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है. राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का भी एक बयान सामने आया है, जो इस वक्त वायरल हो रहा है.

'बड़े नेताओं के कैंपेन से वोट नहीं मिलते'

दौसा में चुनाव प्रचार करने पहुंचे टोंक विधायक कह रहे हैं कि, 'मंत्री-विधायकों को भेजने से वोट नहीं मिलता है. जनता का मन जीतना पड़ता है. अपने कामों से लोगों के बीच विश्वास पैदा करना पड़ता है. जिस पार्टी के पास कैंडिडेट हैं, उसने अभी तक क्या किया है, इसका भी बहुत फर्क पड़ता है. राजस्थान में नई सरकार बने 11 महीने हो गए हैं. लेकिन आज भी ग्रामीणों क्षेत्रों में खाद-यूरिया की किल्लत है. वहां काला बाजारी हो रही है. मगर सरकार की मंशा लोगों को राहत देने की नहीं है. इन हालातों को देखकर मुझे नहीं लगता कि प्रशासन की ताकत पर भाजपा सरकार राजस्थान में वोट हासिल कर पाएगी. यहां के लोग निर्णायक सोच रखने वाले हैं. वे मन बनाकर रखते हैं, और जाति-बिरादरी से ऊपर उठकर पार्टी की विचारधारा में विश्वास रखते हैं.'

'राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ है'

पायलट ने आगे कहा, 'राजस्थान में सरकार बनाने के बाद सीएम भजनलाल शर्मा ने युवाओं को नौकरियां देने की घोषणा की थी. पेपर लीक मामले में बड़े मगरमच्छों को पकड़ने का ऐलान किया था. मगर वो कुछ नहीं कर पाए. ये सरकार बढ़ती महंगाई तक पर काबू नहीं कर पाई. इन 10-11 महीनों में भाजपा के अंदर सिर्फ आपसी मनमुटाव और खिंचाव हुआ है. आज राजस्थान में सत्ता के कई केंद्र बन गए हैं, फिर भी वे निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. राजस्थान में आज अफसरशाही हावी है. सत्ता दल के विधायक जयपुर में भटक रहे हैं, लेकिन उनकी कोई बात नहीं सुन रहा. अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी पता नहीं किसकी चल रही है. राजस्थान में जवाबदेही किसकी है, इस पर आज भी बहुत कन्फ्यूजन बना हुआ है. इन्हीं सब कारणों के चलते ये पहली बार राजस्थान में हो रहा है कि लोगों का इतने कम समय में सरकार से विश्वास उठ चुका है.'

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