Dausa By-election: राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में दौसा सीट सबसे हॉट सीट बन गई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट (Sachin Pilot) और इस्तीफा दे चुके राजस्थान सरकार में मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा (Kirori lal Meena) की प्रतिष्ठा दांव पर है. दौसा (Dausa) में दोनों नेताओं के चुनावी कमान संभालने से मुकाबला रोचक गया है. सामान्य सीट पर बीजेपी ने एसटी तो कांग्रेस ने एससी वर्ग के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. ऐसे में अनदेखी से नाराज सवर्ण समाज चुनाव में अहम फैक्टर साबित हो सकता है. राजधानी जयपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह सीट हर चुनाव में चर्चित रहती है. चाहे विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, यहां के तेजतर्रार नेता और स्थानीय मुद्दों की वजह से चुनाव प्रचार भी काफी धुआंधार रहता है.
सामान्य वर्ग की अनदेखी पड़ेगी भारी?
दौसा सीट का जमीनी हाल जानने पहुंची NDTV की टीम ने जब स्थानीय लोगों से बात की तो सियासी समीकरणों को लेकर अलग-अलग राय सामने आई. दौसा कलेक्ट्री सर्किल के बाहर चाय की दुकान पर लोगों का मानना है कि अभी तक इस सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी था, लेकिन सचिन पायलट की एंट्री के साथ माहौल बदल गया है. जबकि कुछ लोग यह भी मानते हैं कि पार्टियां कोई भी हो, इस क्षेत्र के विकास पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. कुछ वरिष्ठ मतदाताओं का कहना है कि इस बार सामान्य वर्ग की अनदेखी भारी पड़ेगी, जो पार्टी सामान्य वर्ग को साध लेगी, जीत की चाबी उसी के हाथ होगी.
एससी और सामान्य वर्ग के लगभग बराबर है वोटर, एससी भी 50 हजार से ज्यादा
इस सीट के सियासी गणित को देखें तो 60 से 65 हजार एसटी मतदाता है, जबकि एससी 50 से 55 हजार है. ओबीसी करीब 25 से 30 हजार मतदाता और सामान्य वर्ग करीब 70 हजार वोटर है. सामान्य वर्ग अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहा है. फिलहाल इस वर्ग ने चुप्पी साध ली है. शहर की सबसे फेमस कमलेश कचोरी वाले की दुकान पर भी मौजूद लोग भी आजकल राजनीतिक आंकलन लगा रहा है. यहां मौजूद नागरिकों का मानना है कि सीट के सियासी समीकरण काफी जटिल है. कमलेश कचोरी वाले बताते हैं कि वे पिछले 20 सालों से यहां कचौरी की दुकान चला रहे हैं, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है जब इस सीट पर तस्वीर इतनी उलझी हुई नजर आती है. स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि चुनाव में सामान्य और ओबीसी वर्ग अहम है. ये दोनों वर्ग जिस ओर घूम जाएंगे, हवा का रुख उधर ही होगा. हालांकि स्थानीय पत्रकारों का मानना है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री सामान्य वर्ग से हैं, ऐसे में सवर्ण समाज बीजेपी के साथ जा सकता है.
सीट जीतने के लिए दोनों पार्टियों ने लगा दिया पूरा जोर
कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी रही. सचिन पायलट भी चुनावी सभाओं में इस बात पर जोर दे रहे हैं "ये चुनाव विचारधारा का चुनाव है. सरकार की जवाबदेही का चुनाव है और इस चुनाव के जरिए जनता भाजपा सरकार की 10 महीने की नाकामी का सच भी सामने रखेगी." दूसरी ओर, बीजेपी प्रत्याशी जगमोहन मीणा की नामांकन रैली में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ जैसे बड़े नेता शामिल हुए.
किरोड़ीलाल मीणा के लिए अग्निपरीक्षा, पायलट का गढ़ है दौसा
दौसा लोकसभा सीट हारने के बाद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के लिए विधानसभा उपचुनाव अग्निपरीक्षा है. भाई जगमोहन मीणा के चुनावी मैदान में उतरने के बाद यह चुनाव उनके लिए काफी अहम हो गया है. जबकि पायलट परिवार का गढ़ दौसा सीट को ही कांग्रेस हर हाल में जीतना चाहती है. इसी सीट से सचिन पायलट ने भी अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया था. वहीं, यह सीट उनके पिता राजेश पायलट और माता रमा पायलट की भी कर्म भूमि रही है.
यह भी पढ़ेंः राजस्थान का ये जिला बनेगा तीसरा एजुकेशन हब, उपचुनाव से पहले किरोड़ी लाल मीणा ने किया ऐलान