Rajasthan by-Election: डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट पर 29 साल के युवा चेहरे महेश रोत को मैदान में उतारा है. महेश रोत सांसरपुर पंचायत से सरपंच है, इससे पहले उदयपुर कॉलेज में पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और यूथ कांग्रेस के नेता रह चुके हैं. महेश रोत सांसरपुर पंचायत से सरपंच हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ताराचंद भगोरा को प्रत्याशी बनाया था. लेकिन, वे हार गए थे. वे तीसरे स्थान पर थे. इस बार भी भगोरा परिवार से भतीजा, बहु, निमिषा भगोरा और रूपचंद भगोरा टिकट मांग रहे थे. लेकिन, कांग्रेस ने भगोरा परिवार का टिकट काटकर नए युवा चेहरे पर भरोसा किया है.
उदयपुर कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे
महेश रोत सांसरपुर पंचायत के कजड़िया फला के रहने वाले हैं. पिता अमृतलाल रोत भी 1995-2000 में जिला परिषद सदस्य रहे. अब उनका देहांत हो चुका है. उन्होंने राजनीति विज्ञान से MA किया है. कॉलेज में पढ़ाई के समय से ही कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े. कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से जुड़े. 2017-18 में उदयपुर मोहनलाल सुखाड़िया कला महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. 2018 में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में एनएसयूआई से केंद्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष प्रत्याशी भी रहे. 2019 में डूंगरपुर एनएसयूआई के संरक्षक रहे. 2022 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव थे.
बीजेपी ने अभी तक नहीं की घोषणा
चौरासी विधानसभा सीट पर बीजेपी ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. जबकि, प्रदेश की अन्य सभी 6 सीटों पर भाजपा अपने प्रत्याशी उतार चुकी है. बीजेपी को इस सीट पर अपना प्रत्याशी चयन में कई समीकरण साधने का प्रयास कर रही है. 2023 विधानसभा चुनावों में भाजपा से सुशील कटारा प्रत्याशी थे, जो 69 हजार वोट से हार गए थे. इसके बाद भाजपा के लिए ये चुनाव बड़ी चुनौती है.
चौरासी में 70% ST वोटर्स
राजस्थान के दक्षिणांचल में में आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा पड़ोसी राज्य गुजरात से सटी हुई है. चौरासी के कई गांव डूंगरपुर मुख्यालय की जगह गुजरात आते-जाते हैं. इस सीट पर 70% ST वोटर्स हैं. जबकि, 10% OBC और 20% जनरल, अल्पसंख्यक और SC वोटर्स हैं. 1967 से लेकर आज तक इस सीट पर 12 बार चुनाव हुए, जिसमें 6 बार कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा. पिछले 2 बार से ये सीट राजकुमार रोत के कब्जे में रही. 2018 में बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) और इसके बाद 2023 में बीएपी (भारत आदिवासी पार्टी) से विधायक बने. दूसरी बार 69 हजार के बड़े अंतर से राजकुमार रोत जीते, इससे पहले कभी किसी ने इतने बड़े मार्जिन से जीत हासिल नहीं की थी. जबकि, भाजपा केवल 3 बार ही इस सीट पर जीत हासिल कर सकी है. 1 बार जेएनपी ने जीत हासिल की. कांग्रेस और बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत आदिवासी पार्टी की रहेगी.
कब कौन रहा विधायक | ||
वर्ष | विधायक | पार्टी |
1967 | रतनलाल | कांग्रेस |
1972 | रमेशचंद्र | कांग्रेस |
1977 | हीरालाल | जेएनपी |
1980 | गोविंद आमलिया | कांग्रेस |
1985 | शंकरलाल अहारी | कांग्रेस |
1990 | जीवराम कटारा | बीजेपी |
1998 | शंकरलाल अहारी | कांग्रेस |
2003 | सुशील कटारा | बीजेपी |
2008 | शंकरलाल अहारी | कांग्रेस |
2013 | सुशील कटारा | बीजेपी |
2018 | राजकुमार रोत | बीटीपी |
2023 | राजकुमार रोत | बीएपी |
भाजपा से पहले पिता फिर बेटे को मिली विरासत
चौरासी विधानसभा सीट पर 1967 से लेकर 24 साल बाद 1990 में पहली बार भाजपा को जीत मिली. उस पर भाजपा से जीवराम कटारा ने जीत दर्ज की. इसके बाद 2003 में इसी सीट पर जीवराम कटारा के बेटे सुशील कटारा को मौका मिला और जीते. हालाकि 2008 में हार गए. लेकिन 2013 में सुशील कटारा को फिर से जीत मिली. ऐसे में 3 बार बीजेपी जीती लेकिन ये सीट पिता पुत्र के पास ही रही.
कांग्रेस के शंकरलाल अहारी सबसे ज्यादा 3 बार विधायक रहे
वर्ष 1967 से लेकर 2008 सबसे ज्यादा 6 बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की. इसमें सबसे ज्यादा शंकरलाल अहारी 3 बार विधायक रहे. 1985, 1998 ओर 2008 में शंकरलाल अहारी जीते. लेकिन 2008 के बाद कांग्रेस इस परपंरागत सीट को कभी जीत नहीं पाई.
पिछले 4 चुनावों में हार जीत का गणित
वर्ष 2023
1. बीएपी, राजकुमार रोत, 1 लाख 11 हजार 150, वोट शेयर 53.92 %
2. भाजपा, सुशील कटारा, 41 हजार 984, वोट शेयर 20.37 %
3. हार जीत का अंतर - 69 हजार 166
वर्ष 2018 चुनाव
1. बीटीपी, राजकुमार रोत, 64 हजार 119, वोट शेयर 38.22 %
2. भाजपा, सुशील कटारा, 51 हजार 185, वोट शेयर 30.51 %
3. हार जीत का अंतर - 12 हजार 934
वर्ष 2013 चुनाव
1. भाजपा, सुशील कटारा, 72 हजार 247, वोट शेयर 50.14 %
2. कांग्रेस, महेंद्र बरजोड़, 51 हजार 934, वोट शेयर 36.07 %
3. हार जीत का अंतर - 20 हजार 313
वर्ष 2008 चुनाव
1. कांग्रेस, शंकरलाल अहारी, 46 हजार 23, वोट शेयर 42.49 %
2. भाजपा, सुशील कटारा, 39 हजार 809, वोट शेयर 36.76 %
3. हार जीत का अंतर - 6 हजार 214
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