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CAG की रिपोर्ट में राजस्थान को लेकर हुए बड़े खुलासे, जानें मार्च 2021 से जुलाई 2024 तक क्या-क्या हुई धांधली!

राजस्थान विधानसभा में CAG की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई. इसमें राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों से संबंधित 31 मार्च 2021 से लेकर 24 जुलाई 2024 तक का ब्यौरा शामिल है.

CAG की रिपोर्ट में राजस्थान को लेकर हुए बड़े खुलासे, जानें मार्च 2021 से जुलाई 2024 तक क्या-क्या हुई धांधली!
CAG Report For Rajasthan

Rajasthan CAG Report: राजस्थान सरकार के विभिन्न सरकारी महकमों की कैग की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में परिवहन विभाग में ख़रीद से पहले वाहनों का पंजीकरण होने और डुप्लीकेट चेसिस जैसे मामले सामने आए हैं. राजस्थान विधानसभा में 24 जुलाई CAG की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई. दो भागों में इस प्रतिवेदन में राजस्थान में सरकार के विभिन्न विभागों से संबंधित 31 मार्च 2021 से लेकर 24 जुलाई 2024 तक का ब्यौरा शामिल है.

परिवहन विभाग में हुआ यह खेल

रिपोर्ट में बताया गया है कि परिवहन विभाग में इस दौरान डेटा एंट्री में भारी त्रुटियां हुई है. जिसके चलते वाहनों की ग़लत एंट्री हुई है. कैग की पड़ताल में वाहनों की ख़रीद से पहले ही गाड़ियों के पंजीकरण के 119 मामले सामने आये हैं. इन मामलों में वाहनों की ख़रीद से 74 दिन पहले ही गाड़ी पंजीकृत हो चुकी थी. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि डुप्लीकेट चेसिस या डुप्लीकेट इंजन नंबर वाले ये 712 वाहन भी विभाग में पंजीकृत किए गए हैं. 

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इसके अलावा रिपोर्ट में 15,584 वाहनों का वजन भी शून्य से तीन किलो दर्शाया गया. जबकि वाहनों का वज़न एक लाख किलोग्राम से अधिक दर्ज किया गया था. आंकड़ों के विश्लेषण से ये साफ़ हुआ कि क़रीब 25,000 ऐसे मामले थे जिनमें ग़लत तरीक़े से प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी किए गए.

खान विभाग में भी अनियमितताएं

कैग की रिपोर्ट में ख़ान विभाग में भी कार्यप्रणाली में भारी अनियमितताएं सामने आने की बात कही गई है. कैग की जांच से पता चला की ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से आवेदन प्राप्त करने और अल्प अवधि अनुज्ञा पत्र जारी करने के निर्देशों के बावजूद एक अभियंता कार्यालय में ऑफलाइन प्रणाली के माध्यम 550 में 491 में आवेदन भौतिक रूप से प्राप्त हुए. जांच में पाया गया कि चयनित अल्प अवधि अनुज्ञा पत्र धारकों में से किसी ने भी अधि शुल्क निर्धारण के लिए ऑनलाइन रिटर्न जमा नहीं किया था. रिपोर्ट में ये भी साफ़ हुआ कि 13 करोड़ 20 लाख की बकाया राशि को दिए बिना ही 46 अल्प अवधि अनुज्ञा पत्र अनियमित रूप से जारी करवा लिए गए. इसके अलावा 127 अल्प अवधि अनुज्ञा पत्र धारकों ने कार्य पूरा होने की डेट के बाद भी रॉयल्टी के आंकलन के लिए रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किये. ये विलंब 2 से 40 महीने का था.

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कैग का खुलासा गहलोत राज में केंद्र से कम मिली सहायता

कैग की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान की पूर्व गहलोत सरकार के शासनकाल में साल 2022-23 में केंद्र सरकार ने राज्य को 29,846 करोड़ रुपए की सहायता दी. जो साल 2021-22 के 36,326 करोड़ के मुकाबले 6,480 करोड़ रुपए कम थी. अशोक गहलोत ने भी अपने शासनकाल में लगातार यह आऱोप लगाए थे कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को उसके हक का पूरा पैसा नहीं दे रही है. 

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कैग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि वित्त वर्ष 2022-23 में गहलोत सरकार राजकोषीय घाटा तीन प्रतिशत की सीमा में रखने में नाकाम रही. रिपोर्ट में कहा गया कि एफआरबीएम अधिनियम कहता है कि सरकारों को राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी के तीन प्रतिशत की सीमा के भीतर रखना होगा. लेकिन इस वित्त वर्ष में गहलोत सरकार का राजकोषीय घाटा 51,028 करोड़ था. जो जीएसडीपी का 3.61 प्रतिशत होता हैं. हालांकि कोरोना के चलते केंद्र सरकार ने राज्यों को राजकोषीय घाटे की सीमा में छूट दी थी.

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