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Rajasthan Diwas 2025: "मैं अपने डेथ वारंट पर साइन कर रहा हूं", राजस्थान में विलय के वक्त बांसवाड़ा के महारावल ने कही थी ये बात

Rajasthan: दूसरे चरण में 'राजस्थान संघ' का निर्माण 25 मार्च, 1948 को किया गया. इस दौरान बांसवाड़ा, बूंदी, डूंगरपुर, झालावाड़, किशनगढ़, कोटा, प्रतापगढ़, शाहपुरा, टोंक आदि रियासतें और कुशलगढ़ की चीफशिप शामिल हुई.

Rajasthan Diwas 2025: "मैं अपने डेथ वारंट पर साइन कर रहा हूं", राजस्थान में विलय के वक्त बांसवाड़ा के महारावल ने कही थी ये बात
बांसवाड़ा का सिटी पैलेस 'श्री राजमंदिर' (क्रेडिटः भरत कंसारा).

Merger of Banswara princely state in Rajasthan: सांस्कृतिक, प्राकृतिक और ऐतिहासिक तौर पर विविधता वाले राजस्थान के निर्माण में काफी जटिलताएं थी. यह 7 चरणों में पूरा हुआ. इसका पहला चरण भरतपुर, अलवर, धौलपुर तथा करौली को मिलाकर 18 मार्च, 1948 को 'मत्स्य प्रदेश' की स्थापना से शुरू हुआ.  इसके बाद 'राजस्थान संघ' का निर्माण 25 मार्च, 1948 को किया गया, जिसमें बांसवाड़ा, बूंदी, डूंगरपुर, झालावाड़, किशनगढ़, कोटा, प्रतापगढ़, शाहपुरा, टोंक आदि रियासतें और कुशलगढ़ की चीफशिप शामिल हुई. बाद में मेवाड़ (उदयपुर) 18 अप्रेल, 1948 को इसमें सम्मिलित और इसका 'संयुक्त राजस्थान' नामकरण हो गया. 

रियासत के विलय पर महारावल के थे ये विचार 

इस दूसरे चरण के दौरान बांसवाड़ा के महारावल चंद्रवीर सिंह विलय को लेकर जो बात कही, उसकी काफी चर्चा होती है. उन्होंने राजस्थान संघ के निर्माण के समय विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था, "मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं." ऐसा इसलिए क्योंकि बाँसवाड़ा के शासक राजस्थान संघ में अपनी रियासत का विलय नही चाहता थे.

1948 में बांसवाड़ा पेश करने वाला अपना बजट, लेकिन पहले ही हो गया विलय

बांसवाड़ा के महारावल ने 3 फरवरी 1939 को एक राज्य परिषद बनाई थी, जिसमें सभी 32 सदस्य उनके द्वारा चुने गए थे. इनमें 7 सरकारी कर्मचारी और आठ जागीरदार शामिल थे. इस परिषद को सवाल पूछने, प्रस्ताव पास करने और महारावल की मंजूरी से कानून बनाने का अधिकार था. दीवान इस परिषद के स्वाभाविक अध्यक्ष थे. बाद में, 1946 में राज्य विधान अधिनियम लागू किया गया, जिसके तहत विधानसभा में 35 सदस्य होने थे—32 चुने हुए और 3 मंत्री स्वतः सदस्य. इस विधानसभा के अधिकार पुरानी परिषद जैसे ही थे. सितंबर 1947 में विधानसभा के चुनाव हुए, जिसमें बांसवाड़ा प्रजामंडल को बहुमत मिला. विधानसभा का पहला सत्र 18 मार्च 1948 को शुरू हुआ और 30 मार्च 1948 को बजट सत्र की योजना बनी, लेकिन उससे पहले ही रियासत भारत का हिस्सा बन गई.

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