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राजस्थान में जाटों के बाद अब किसान खोलेंगे मोर्चा, झुंझुनूं में बड़े प्रदर्शन की हो रही तैयारी

किसानों ने बताया कि लगातार जल स्तर गिरने से खेती विलुप्त सी होने लगी है. अगर जल्द जिले को नहर का पानी नहीं मिला तो किसानों को खेती छोड़कर अन्यत्र पलायन करना पड़ेगा.

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राजस्थान में जाटों के बाद अब किसान खोलेंगे मोर्चा, झुंझुनूं में बड़े प्रदर्शन की हो रही तैयारी
पिछले 32 दिन से धरने पर बैठे किसान.

Rajasthan News: अपने हक के लिए अब शेखावाटी के किसान सड़क पर आने को तैयार है. इस बार लड़ाई कोई कानून बनाने या फिर ​फसल का समर्थन मूल्य तय करने के लिए नहीं है, बल्कि किसानों के भविष्य के लिए है. जो विषय सीधे तौर पर आमजन से भी तय हैं. जी हां, झुंझुनूं के किसानों ने अपने 30 साल पुराने यमुना नहर के पानी को प्राप्त करने के हक के लिए अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला ले लिया है. यही कारण है कि बीते एक महीने से यह लड़ाई अब तक एक दर्जन से अधिक गांवों तक पहुंच गई है. किसान गांव-ढाणियों में तंबू तानकर बेमियादी धरने पर बैठ गए हैं. यमुना नहर के पानी की मांग को लेकर एक दर्जन से अधिक गांवों में किसानों का धरना जारी हैं. चिड़ावा-सिंघाना मार्ग पर लाल चौक बस स्टैण्ड पर किसानों और ग्रामीणों का धरना बीते 32 दिन से जारी है. 

12 फरवरी को होगा बड़ा प्रदर्शन

पांच राज्यों के बीच 1994 में हुए जल समझौते को लागू करवाने की मांग को लेकर अब यमुना जल महासंघर्ष समिति 12 फरवरी को झुंझुनूं जिला कलेक्ट्रेट पर बड़ा प्रदर्शन करेगी. 12 फरवरी को होने वाले प्रदर्शन के लिए किसानों की कमेटी गांव गांव जाकर किसानों को नहर को लेकर होने वाले प्रदर्शन के लिए पीले चावल देकर निमंत्रण दे रही है. लाल चौक स्टैण्ड पर धरने पर बैठे किसानों ने बताया कि लगातार जल स्तर गिरने से खेती विलुप्त सी होने लगी है. अगर जल्द जिले को नहर का पानी नहीं मिला तो किसानों को खेती छोड़कर अन्यत्र पलायन करना पड़ेगा. 1994 में पांच राज्यों के बीच हुए यमुना जल समझौते के तहत झुंझुनूं जिले को जल्द ही ईआरसीपी की तरह ही हरियाणा से एमओयू करते हुए पानी दिलवाना चाहिए ताकि वापस से यहां की खेती पुनर्जीवित हो सके और यहां के खेत फिर से लहलहा सके. किसानों ने बताया कि हरियाणा-राजस्थान और केंद्र में भाजपा की सरकार है. ऐसे में ईआरसीपी की तरह केंद्र सरकार को यमुना जल समझौते पर हरियाणा से एमओयू करवाना चाहिए और डीपीआर को टेक्निकल अप्रूवल दिलवानी चाहिए. ताकि जिले की वर्षों से लंबित मांग पूरी हो सके और झुंझुनूं के हलक की प्यास बुझ सके.

एक-एक कर जुड़ रहे कई संगठन

इस आंदोलन से धीरे-धीरे सभी संगठन राजनैतिक विचारों से उपर उठकर जुड़ने लगे हैं. इसी क्रम में गत दिनों अंबेडकर पार्क में यमुना जल महासंघर्ष समिति की बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता कर रहे एडवोकेट फूलचंद ने बताया कि 1994 में पांच राज्यों के बीच हुए यमुना जल समझौते के तहत झुंझुनूं के हिस्से का पानी दिलवाने के लिए 31000 करोड़ रुपए की बनी. डीपीआर को मंजूरी देने तथा हरियाणा तथा राजस्थान के बीच एमओयू करवाने की मांग को लेकर महासंघर्ष समिति की तरफ से 5 फरवरी को ग्राम पंचायत मुख्यालय पर धरना देने के अलावा ग्राम सभाओं में प्रस्ताव लेकर सरकार को भिजवाएंगे. इसके अलावा 12 फरवरी को झुंझुनूं कलेक्ट्रेट पर सभा एवं प्रदर्शन करने के लिए तहसील स्तर महासंघ समिति को जिम्मेदारी दी गई है. यमुना जल संघर्ष समिति संयोजक यशवर्धन सिंह के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी विभिन्न संगठनों से यमुना नहर को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाते हुए समर्थन प्राप्त करेगी.

30 साल में डीपीआर तक ही बन पाई

राज्य सरकार ने हाल ही में ईआरसीपी को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए इस मसले को करीब करीब निपटा लिया है, जिससे राजस्थान के 13 जिलों में पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा. लेकिन शेखावाटी के तीन जिलों में भी यमुना नहर का पानी 1994 को हुए समझौते के अनुसार दिलाने के लिए भी अब सरकार को आगे बढ़ना होगा. इधर, इस मांग को लेकर करीब एक महीने से झुंझुनूं जिले की गांव-ढाणियों में प्रदर्शन किए जा रहे हैं. मांग को लेकर यमुना जल महासंघर्ष समिति का गठन किया गया है, जिसने आंदोलन को जन आंदोलन के रूप में खड़ा करने की पूरी तैयारी कर ली है. महासंघर्ष समिति के सदस्य एवं एवं यमुना जल संघर्ष समिति के संयोजक यशवर्धनसिंह शेखावत ने बताया कि 12 फरवरी को पूरे जिले के लोग इकट्ठा होकर बड़ा प्रदर्शन करेंगे. इससे पहले पांच फरवरी को होने वाली ग्राम सभाओं में यमुना नहर का पानी दिलाने की मांग की जाएगी. उन्होंने बताया कि 1994 में हुए समझौते के अनुसार शेखावाटी के तीन जिलों चूरू, झुंझुनूं और नीम का थाना के इलाके को यमुना नहर का पानी मिलना है. नासा की रिपोर्ट में यह साफ हो चुका है कि पूरे विश्व में यदि पानी को लेकर कहीं भयावह स्थिति है तो वो शेखावाटी में ही है. इसलिए हरियाणा सरकार से राजस्थान का एमओयू करवाने में केन्द्र सरकार को आगे आना चाहिए.

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