
Kota News: रिहायशी इलाकों में वन्यजीवों की दस्तक प्रदेश में कई जगहों पर देखने को मिलती है, लेकिन चंबल किनारे बसे कोटा में मगरमच्छों का रिहायशी इलाकों में आकर दहशत फैलाना आम बात हो गई है. वन्यजीव विभाग की टीम हर साल बड़ी संख्या में मगरमच्छों को रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रिलीज करती है. हालांकि, इस बार टीम को एक ऐसी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जहां मगरमच्छ ने जिस जगह डेरा जमाया है, वहां से उसे निकालना मुश्किल हो रहा है. यही वजह है कि राजस्थान में पहली बार ऑस्ट्रेलियन तकनीक का सहारा लेकर मगरमच्छ को रेस्क्यू करने की कोशिश की जा रही है.
मगरमच्छ की दहशत होगी कम
कोटा शहर के बीचो-बीच स्थित छत्र विलास गार्डन के तालाब में हाल ही में एक मगरमच्छ के दिखने से हड़कंप मच गया. इस तालाब में देसी-विदेशी पर्यटक अक्सर बोटिंग का आनंद लेते हैं, लेकिन मगरमच्छ के दर्शन होने के बाद से बोटिंग का संचालन पूरी तरह ठप हो गया था. यहां घूमने आए लोगों में उस समय दहशत फैल गई, जब उन्हें तालाब में मगरमच्छ नजर आया. इस स्थिति ने वन्यजीव विभाग के सामने एक नई चुनौती पेश की है, जिसे हल करने के लिए त्वरित कार्रवाई की जरूरत है.
ऑस्ट्रेलियन तकनीक का इस्तेमाल
मगरमच्छ को सुरक्षित निकालने का जिम्मा कोटा वन्यजीव विभाग में तैनात सहायक वनपाल प्रेम कंवर शक्तावत को सौंपा गया . प्रेम कंवर अब तक सैकड़ों मगरमच्छों को रेस्क्यू कर चुकी हैं और अपने साहस के लिए जानी जाती हैं. लेकिन इस बार हालात उनके लिए भी आसान नहीं हैं, क्योंकि मगरमच्छ पानी के अंदर मौजूद है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में जटिलता बढ़ गई है. फिर भी, वह अपने अधिकारियों के निर्देशन में इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं और इसके लिए ऑस्ट्रेलियन तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं.
ऑस्ट्रेलियन तकनीक से मगरमच्छ को रेस्क्यू करने की यह पहल राजस्थान में पहली बार हो रही है. प्रेम कंवर शक्तावत ऑस्ट्रेलिया में विशेष प्रशिक्षण लेकर लौटी राजस्थान की पहली महिला सहायक वनपाल हैं, अपने अनुभव और कौशल को इस ऑपरेशन में लगा रही हैं. यह तकनीक मगरमच्छ को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से पकड़ने में मदद करती है, खासकर तब जब वह पानी में हो.
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