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राजस्थान हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, अब JDA क्षेत्र की कृषि भूमि पर नहीं चल पाएंगे 'मैरिज गार्डन', अवैध पाए गए तो होगी सीलिंग

हाई कोर्ट का यह फैसला जयपुर शहर के अर्बन प्लानिंग (Urban Planning) और अवैध निर्माणों पर लगाम लगाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. अब देखना यह है कि JDA हाई कोर्ट के इस आदेश का पालन किस तरह और कितनी गंभीरता से करता है.

राजस्थान हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, अब JDA क्षेत्र की कृषि भूमि पर नहीं चल पाएंगे 'मैरिज गार्डन', अवैध पाए गए तो होगी सीलिंग
JDA की 'पिक एंड चूज' पॉलिसी पर फटकार: हाई कोर्ट ने कहा- सभी अवैध मैरिज गार्डन्स पर हो समान कार्रवाई
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर बेंच ने बुधवार शाम जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) क्षेत्र में संचालित हो रहे मैरिज गार्डन्स (Marriage Gardens) के लिए एक रिपोर्टेबल फैसला सुनाया है. अदालत ने साफ कर दिया है कि बिना भू-रूपांतरण (Land Conversion) के कृषि भूमि (Agriculture Land) पर मैरिज गार्डन चलाना पूरी तरह से अवैध (Illegal) है. इस फैसले का सीधा असर JDA सीमा में आने वाले सैंकड़ों मैरिज गार्डन्स पर पड़ेगा, जिनमें से कई कथित तौर पर नियमों को ताक पर रखकर चलाए जा रहे हैं.

सीलिंग की कार्रवाई को सही ठहराया

यह अहम फैसला न्यायाधीश समीर जैन ने मैरिज गार्डन संचालक जगदीश प्रसाद शर्मा की एक याचिका को खारिज करते हुए दिया. याचिकाकर्ता ने JDA द्वारा अपने गार्डन को सील किए जाने और बाद में JDA ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसने सीलिंग की कार्रवाई को बिल्कुल सही ठहराया था. हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में दो टूक शब्दों में कहा, 'कृषि भूमि पर बिना उसे व्यावसायिक भूमि में रूपांतरित कराए, किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधि, जिसमें मैरिज गार्डन का संचालन भी शामिल है, नहीं की जा सकती. ऐसा करना नियमों का सीधा उल्लंघन है.'

'पिक एंड चूज' की नीति पर फटकार

फैसले के दौरान, हाई कोर्ट ने JDA अधिकारियों की कार्यशैली पर भी कड़ी नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि JDA अधिकारी 'पिक एंड चूज' (Pick and Choose) की नीति अपना रहे हैं, जिसका मतलब है कि वे चुनिंदा मैरिज गार्डन्स के खिलाफ ही कार्रवाई कर रहे हैं, जबकि कई प्रभावशाली लोगों के अवैध गार्डन्स को छोड़ रहे हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि शहर में ऐसे सैंकड़ों मैरिज गार्डन्स कृषि भूमि पर बने हुए हैं, लेकिन JDA ने कार्रवाई सिर्फ उनके क्लाइंट के खिलाफ की है.

'समान कार्रवाई सुनिश्चित करें, वरना...'

इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए, राजस्थान हाई कोर्ट ने JDA को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह सभी अवैध मैरिज गार्डन्स के मामलों में समान रूप से कार्रवाई सुनिश्चित करे. यह कार्रवाई किसी भी तरह के भेदभाव से मुक्त होनी चाहिए. अदालत ने यह भी कड़ी चेतावनी दी, 'यदि जोन आयुक्त से लेकर JDA आयुक्त तक, किसी भी अधिकारी ने इस मामले में भेदभावपूर्ण नीति अपनाई या किसी प्रभावशाली व्यक्ति को अनुचित लाभ देने की कोशिश की, तो उनके खिलाफ भी नियमों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.'

ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र पर भी स्थिति साफ

कोर्ट ने अपने फैसले में एक और महत्वपूर्ण कानूनी पहलू को स्पष्ट किया. कोर्ट ने कहा कि JDA ट्रिब्यूनल को JDA से संबंधित विवादों की सुनवाई करने का पूरा अधिकार प्राप्त है. भले ही ट्रिब्यूनल नाम से सिविल कोर्ट (Civil Court) न हो, लेकिन 1982 के जयपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम की धारा 83 के तहत इसे न्यायिक कार्य करने और सिविल न्यायालय जैसी शक्तियां मिली हुई हैं. इस स्पष्टीकरण से JDA से जुड़े मामलों में ट्रिब्यूनल की वैधता पर उठने वाले सवालों पर विराम लग गया है.

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