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राजस्थान हाई कोर्ट में जज ने पढ़ा संस्कृत का श्लोक, कहा- 'यौन शोषण के मामले में बच्ची का बयान काफी, आरोपी टीचर से सहानुभूति नहीं'

हाई कोर्ट ने शिक्षक यतेंद्र कुमार नागौरी द्वारा सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया. नागौरी को कक्षा 6 की छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप में बर्खास्त किया गया था.

राजस्थान हाई कोर्ट में जज ने पढ़ा संस्कृत का श्लोक, कहा- 'यौन शोषण के मामले में बच्ची का बयान काफी, आरोपी टीचर से सहानुभूति नहीं'
राजस्थान हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, कक्षा 6 की बच्ची के बयान पर यौन शोषण के आरोपी टीचर की बर्खास्तगी सही ठहराई (प्रतीकात्मक तस्वीर)
ANI

Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर बेंच ने गुरुवार शाम यौन शोषण के आरोपी शिक्षक की याचिका को खारिज करते हुए शिक्षा व्यवस्था और समाज के लिए एक अहम फैसला सुनाया. जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे व्यक्ति, जिस पर बच्चों के भविष्य को बनाने का दायित्व है, उसके साथ कोर्ट की कोई सहानुभूति नहीं हो सकती. कोर्ट ने साफ किया कि पीड़ित बच्ची के बयान ही आरोपी को दोषी तय करने के लिए पर्याप्त हैं.

'मैं तुम्हारे ब्रेस्ट सहलाऊंगा तो वह बड़े होंगे.'

मामला 6 फरवरी 2015 का है, जब शिक्षक यतेंद्र कुमार नागौरी पर कक्षा 6 की एक छात्रा से यौन शोषण करने का गंभीर आरोप लगा था. इस मामले की जांच के लिए गठित अनुशासन समिति ने जांच में शिक्षक को दोषी पाया था. इसी रिपोर्ट और फैसले के आधार पर शिक्षक को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था. बर्खास्तगी के इस फैसले को ट्रिब्यूनल से भी खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद शिक्षक हाई कोर्ट पहुंचा था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान, बच्ची के बयानों की गंभीरता सामने आई. बच्ची ने अपने बयानों में साफ कहा कि शिक्षक उसके साथ छेड़खानी करता था. 

बच्ची ने अपने बयानों में साफ कहा है कि शिक्षक उसके साथ छेड़खानी करता था. यहां तक कि शिक्षक ने बच्ची से कहा था कि मैं तुम्हारे गुदगुदी करना चाहता हूं. मैं तुम्हें टच करना चाहता हूं और मैं ब्रेस्ट को सहलाऊंगा तो वह और बड़े होंगे. तुम और भी सुंदर लगोगी. बच्ची के बार-बार मना करने के बावजूद आरोपी शिक्षक नहीं माना. मामले की पुष्टि 8 अन्य बच्चों ने भी की थी.

'बच्ची के बयान ही आरोपी तय करने के लिए काफी'

आरोपी शिक्षक के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि शिक्षक को झूठे मामले में फंसाया जा रहा है. वकील ने आरोप लगाया कि स्कूल की ही एक सहकर्मी शिक्षिका जो घर पर प्राइवेट ट्यूशन देती थी, आरोपी शिक्षक के विरोध करने पर उसे इस झूठे केस में फंसाया गया है. हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को पूरी तरह से खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत लागू होता है. केवल पीड़ित बच्ची के बयान ही इस पूरे मामले में आरोपी को तय करने के लिए पर्याप्त हैं. बच्ची या शिक्षिका के द्वारा झूठा केस बनाने की कोई बात इस मामले में नहीं दिखती है. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि एक शिक्षक, जिसके ऊपर बच्चों के भविष्य को निर्माण करने का दायित्व है, उसने कक्षा 6 की बच्ची के साथ गलत किया. ऐसे व्यक्ति के प्रति कोर्ट की सहानुभूति नहीं हो सकती.

'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते', समाज पर प्रतिकूल प्रभाव का जिक्र

फैसला सुनाते हुए खंडपीठ ने संस्कृत के श्लोक का उल्लेख करते हुए भारतीय संस्कृति और नारियों के सम्मान पर भी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः.' अर्थात, जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं. जहां उनका सम्मान नहीं होता, वहां सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं. कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज और संस्कृति में नारियों का विशेष सम्मान और आदर है. उनके खिलाफ किसी भी तरह का गलत बर्ताव समाज पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. कोर्ट ने ट्रिब्यूनल और अन्य संबंधित एजेंसियों को बच्चों की पहचान छुपाने के मामले को गंभीरता से लेने के लिए भी आदेश दिया.

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