
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को रिटायर्ड कर्मचारियों को समय पर पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ नहीं देने पर नाराजगी जाहिर की. हाइकोर्ट ने नंद किशोर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य सचिव और पेंशन विभाग के निदेशक को पेश होने के आदेश दिए हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने पैरवी की.
पेंशन और ग्रेच्युर्टी नहीं मिला
नंद किशोर शर्मा 30 अप्रैल 2023 को वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी पद से रिटायर हुए थे. अस्पताल ने उन्हें प्रमाण पत्र दिया कि उनके खिलाफ कोई विभागीय जांच लंबित नहीं है. इसके बाद उन्हें न तो पेंशन और न ही ग्रेच्युटी जैसे सेवानिवृत्ति लाभ मिले.
कोर्ट में ऐसे मामलों की बाढ़ आ गई
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल ने कहा कि कोर्ट में ऐसे मामलों की बाढ़ आ गई है. विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और नियमों की अवहेलना के कारण सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वर्षों तक अपने हक के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाना पड़ता है.
कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा
साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि याचिकाकर्ता को पेंशन और परिलाभ समय पर क्यों नहीं दिए गए. 10 जुलाई 2023 का क्लीन चिट सर्टिफिकेट होने के बावजूद विभागीय जांच का हवाला क्यों दिया जा रहा है? सेवानिवृत्ति लाभों में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है?
हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिए कि सरकार बताए कि राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 की धारा 80 और 83 का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कौन-से ठोस कदम उठाए जा सकते हैं, यहां तक कि ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने पर भी विचार किया जाए.
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