![Rajasthan: तहसीलदार ने भू माफिया के साथ मिलकर कर दिया खेल, जाली दस्तावेज से 18 लाख में बेच दिया 'श्मशान' Rajasthan: तहसीलदार ने भू माफिया के साथ मिलकर कर दिया खेल, जाली दस्तावेज से 18 लाख में बेच दिया 'श्मशान'](https://c.ndtvimg.com/2025-02/i5m84c8_jhunjhunu_625x300_12_February_25.jpg?im=FeatureCrop,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Rajasthan News: राजस्थान में भू माफियाओं का खेल लगातार जारी है. सरकार भू-माफियाओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दे रही है. लेकिन यहां सरकारी महकमा ही मिलकर भू माफियाओं के साथ जमीन का खेल कर रहा है. नया मामला चौंकाने वाला है. भू माफिया और तहसीलदार ने मिलकर ऐसा खेल किया कि श्मशान को ही बेच डाला. इतना ही नहीं इस बिक्री में कई दस्तावेजों का खेल भी किया गया है. लेकिन इस बारे में अब खुलासा हुआ है. दरअसल, घटना झुंझुनूं जिले की है जहां नवलगढ़ कस्बे के उप पंजीकरण कार्यालय तहसील में कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर एक जमीनी की रजिस्ट्री की गई, बाद में पता चला की वह भूमि श्मशान भूमि है और उसमें एक शिवालय भी है.
बताया जा रहा है कि जमीन की बिक्री पत्र पंजीकरण के लिए विक्रेता से न आधार कार्ड लिया गया और न ही पैन कार्ड. उसकी पहचान के लिए करीब 28 साल पहले बना मूल निवास प्रमाण पत्र लगाया गया है. जबकि पहचान के लिए फोटो आईडी जरूरी होती है. मामले का खुलासा होने के बाद नायब तहसीलदार रामस्वरूप बाकोलिया ने एफआईआर दर्ज करवाई है. यह रजिस्ट्री पिछले महीने 3 जनवरी को हुई थी. उसी दिन इसका नामांतरण भी चढ़ गया. यह भूमि नवलगढ़ के वार्ड 1 में स्थित सेठवाली ढाणी में है, जो राजस्व रिकॉर्ड में हनुमान सिंह के नाम पर थी.
भूमि मालिक की पहचान ही नहीं की गई
उपपंजीयक कार्यालय में इस विक्रय पत्र की तस्दीक करने के लिए हनुमान सिंह के असली और नकली होने की जांच ही नहीं की गई. क्योंकि इसके लिए विक्रेता हनुमान सिंह का आधार कार्ड लगाया जाना चाहिए था. लेकिन इसकी जगह हनुमान सिंह का 28 साल पहले 6 सितंबर 1997 को जारी किया गया मूल निवास प्रमाण-पत्र लगाया गया है. नियमों के मुताबिक 10 साल पुराना मूल निवास प्रमाण पत्र मान्य नहीं होता. सरकार ने 2021 में बेनामी संपत्तियों का बेचान रोकने के लिए फोटो आधारित पहचान पत्र की अनिवार्यता की थी. यानी आधार कार्ड, पैन कार्ड या पासपोर्ट जरूरी था. इसमें 28 साल पुराना मूल निवास प्रमाण पत्र लगाया गया है.
नहीं किया गया किसी भी नियम का पालन
जमीनों की खरीद-फरोख्त में दो लाख रुपए से अधिक का लेनदेन बैंक के जरिए ही किया जा सकता है. इसमें जमीन की पूरी कीमत 18 लाख रुपए एकमुश्त नकद लेना बताया गया है. विक्रय पत्र में विक्रेता हनुमान सिंह को नवलगढ़ निवासी बताया गया है. यानी वह किस कॉलोनी का या किस वार्ड का रहने वाला है, जिक्र नहीं किया. सवाल उठ रहा है कि असली भू मालिक की जगह दूसरे को पेश कर रजिस्ट्री बनवा दी. मोबाइल पर ओटीपी से सत्यापन कराना जरूरी होता है. बिना ओटीपी के ही विक्रय पत्र का सत्यापन कर दिया गया.
तहसीलदार को मिला था 3 जनवरी को अतिरिक्त चार्ज
तहसीलदार नवलगढ़ ने बताया की नायब तहसीलदार रामस्वरूप बाकोलिया के पास 3 जनवरी को तहसीलदार का अतिरिक्त चार्ज था. उसी दिन विक्रय पत्र को उनके समक्ष पेश कर पंजीबद्ध करवा लिया. इसमें गवाह के रूप में बिरोल के अशोक जाट व वार्ड 8 नवलगढ़ के विनोद चोपदार के हस्ताक्षर हैं. मामला उजागर होने के बाद नायब तहसीलदार रामस्वरूप बाकोलिया ने नवलगढ़ थाने में मामला दर्ज करवाया हैं .उधर मामला सामने आने के बाद नवलगढ़ एसडीएम जय सिंह ने भी कमेटी गठित कर मामलें की जांच शुरू करवा दी हैं.
आपको बता दे की यह जमीन वर्षों से खाली पड़ी थी. इसमें श्मशान बना हुआ है. वर्ष 2015 में सैनी समाज ने यहां पर शिवालय बनवाया था. इस भूमि के अंदर से ही ढाणी का रास्ता जाता है. इस रास्ते में पक्की सड़क बनवाने के लिए ढाणी के लोगों ने पिछले दिनों नवलगढ़ विधायक विक्रमसिंह से मांग की थी. तब लोगों ने जमाबंदी निकलवाई तो उन्हें पता चला कि यह जमीन चूरू के मालमसिंह राजपूत के नाम दर्ज हो गई. इसके बाद लोगों ने एसडीएम और तहसीलदार से शिकायत की जब नायब तहसीलदार ने मामला दर्ज कराया.
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