
Rajasthan News: राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप पर एसीबी में 5 साल पहले दर्ज मामले में एसीबी की ओर से एफआर लगाने पर हाइकोर्ट ने केस बंद कर दिए हैं. हाइकोर्ट ने अशोक सिंह और भरत मलानी को केस में राहत देते हुआ कहा कि जब एसीबी ने मामले में अपराध होना नहीं माना है तो केस में एफआईआर को चुनौती देने का मतलब नहीं है. अशोक गहलोत सरकार के समय विधायकों के खरीब फरोख्त का केस बंद होने पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी प्रतिक्रिया दी है.
'न्यायपालिका में सभी का भरोसा'
सचिन पायलट ने कहा कि मैंने रिपोर्ट देखी नहीं है, लेकिन जब कोर्ट ने निर्णय दे दिया है तो अब क्या बचा है कहने को. मुझे लगता है न्याय पालिका में सभी का भरोसा है. न्यायपालिका में कभी कभी देरी हो जाती है, लेकिन मुझे लगता है देश की न्याय पालिका सुदृढ है, मजबूत है. मुझे नहीं लगता जब निर्णय आ गया है तो अब कुछ बचा है कहने को.
ACB ने दर्ज किया था केस
दरअसल, सचिन पायलट द्वारा तत्कालीन अशोक गहलोत की सरकार को गिराने के लिए निर्दलीय एमएलए की खरीद फरोख्त करने को लेकर एसीबी ने मामला दर्ज किया था. इस मामले में दर्ज एफआईआर को आरोपियों के द्वारा चुनौती दी गई थी. मामले में पहले पहले एसओजी ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया था और फिर उसमें एफआर लगा कर प्रकरण को एसीबी में भेज दिया था.
फोन रिकॉर्डिंग से जुड़ा था पूरा मामला
ये पूरा मामला फोन रिकॉर्डिंग के आधार पर दर्ज हुआ था. दावा किया गया था कि अशोक सिंह और भारत मलानी ने अन्य दो व्यक्तियों करण सिंह और अनिल मिश्रा के साथ मिलकर निर्दलीय विधायक रमीला खड़िया और अन्य को खरीदने की कोशिश की थी और चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया था. साथ ही राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की थी.
कॉल रिकॉर्डिंग में नहीं मिले साक्ष्य
हालांकि, एसीबी की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि कॉल रिकार्डिंग में इस तरह के कोई साक्ष्य नहीं मिले. रिपोर्ट के मुताबिक उल्लेखित सभी कॉल रिकार्डिंग में कोरोना, पायलट और गहलोत के बीच चल रहे राजनीतिक हालतों पर चर्चा, आईपीएल और सामान्य गपशप की बातें थी. इन बातों से विधायक की खरीद फरोख्त करने जैसे कोई साक्ष्य नहीं मिले. साथ ही बैंक के ट्रांजेक्शन से भी ऐसा कोई लेन देन नजर नहीं आया.
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