
Rajasthan News: भरतपुर जिले के बयाना क्षेत्र की अरावली पर्वत श्रृंखला की ऊंचाई पर बसा 'मोर तालाब' गांव एक अनोखी कहानी समेटे हुए है. यहां के लोग वर्ष के आठ महीने पहाड़ी पर बने अपने पक्के घरों में रहते हैं, जबकि गर्मी के चार महीने पानी और अन्य सुविधाओं के अभाव में पहाड़ी की तलहटी में आकर जीवन यापन करते हैं. गांव तक पहुंचने के लिए करीब आठ किलोमीटर का दुर्गम पहाड़ी रास्ता पार करना पड़ता है. यही कारण है कि गांव के लोग सड़क और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग लंबे समय से कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें राहत नहीं मिली है.
पानी और सड़क ने बढ़ाई परेशानी
स्थानीय निवासी बीरबल ने बताया कि 'हम आठ महीने ऊपर और चार महीने नीचे रहते हैं. गर्मियों में पानी की भारी किल्लत होती है. ऊपर जाने का रास्ता भी बेहद कठिन है, इसलिए हमें नीचे आना पड़ता है.'

भूप सिंह ने गांव का ऐतिहासिक पक्ष रखते हुए बताया कि यह गांव बाणासुर के समय का बसा हुआ है. उन्होंने कहा कि 'यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. बारिश के पानी के लिए कुंड जैसे गड्ढे हैं, जिनसे आठ महीने पानी की जरूरत पूरी होती है. बाकी सामान सिर पर उठाकर ले जाना पड़ता है, क्योंकि वहां गाड़ी जाने का कोई रास्ता नहीं है.'
सरकारी स्कूल बंद, दिखाने के लिए बिजली के खंभे
गांव में पहले एक सरकारी स्कूल था जो अब पूरी तरह बंद हो चुका है. बिजली के खंभे तो लगाए गए हैं, लेकिन आज तक वहां बिजली नहीं पहुंची. ग्रामीण गंगा सिंह ने बताया कि "गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे चारपाई पर लादकर नीचे लाना पड़ता है. गांव में 1000 से ज्यादा पशु हैं और हमारा मुख्य व्यवसाय पशुपालन है. फिर भी सुविधाओं के अभाव में हमें नीचे रहना पड़ता है."

गांव में 200 से अधिक लोग
गांव में 50 से अधिक पक्के मकान हैं, जिनमें करीब 200 लोग निवास करते हैं. इस समय गर्मी के कारण अधिकांश लोग नीचे आ चुके हैं, और ऊपर केवल एक मंदिर में पुजारी रह रहे हैं.
प्रशासन ने की मॉनिटरिंग, लेकिन समाधान नहीं...
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार जिला प्रशासन को समस्या से अवगत कराया गया है. अधिकारी निरीक्षण कर भी चुके हैं, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ. गांववासियों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए, जिससे वह सालभर अपने पहाड़ी गांव में रह सकें.
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