Jaipur News: भारतीय मजदूर संघ (BMS) राजस्थान प्रदेश द्वारा आयोजित विशाल "बनिक हुंकार रैली" आज जयपुर में संपन्न हुई. इस रैली में हजारों संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, कर्मचारियों और विभिन्न महासंघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. रैली शहीद स्मारक से प्रारंभ हुई और सिविल लाइंस फाटक तक निकाली गई, जहां एक विशाल आम सभा में परिवर्तित हुई.
भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय महामंत्री रविंद्र हिम्मते ने कहा कि जब तक राज्य सरकार मजदूरों, कर्मचारियों, महिलाओं और युवाओं से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं करेगी, तब तक राज्य में वास्तविक खुशहाली संभव नहीं है. उन्होंने राज्य सरकार से BMS द्वारा प्रस्तुत विस्तृत मांग पत्र पर गंभीरता से चर्चा कर शीघ्र समाधान निकालने की अपील की.
ठेला-टड़ी व्यवसायियों और गरीब मजदूरों के हित में ठोस कदम उठाने की मांग
BMS के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष राज विहारी शर्मा ने कहा कि राजस्थान में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की स्थिति अत्यंत दयनीय है. उन्होंने सरकार से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, ठेला-टड़ी व्यवसायियों और गरीब मजदूरों के हित में ठोस कदम उठाने की मांग की. क्षेत्रीय संगठन मंत्री सी.पी. राजेश ने कहा कि मजदूरों की समस्याओं को लेकर बार-बार सरकार और प्रशासन से संपर्क किया गया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. इसी उपेक्षा के कारण मजदूर सड़कों पर उतरने को विवश हुए हैं. प्रदेश महामंत्री हरिमोहन शर्मा ने चेतावनी देते हुए कहा कि विभागवार मांग पत्र पर मंत्री स्तर की वार्ता कर शीघ्र समाधान किया जाए.
यह रही प्रमुख मांग
सभा में 30 से अधिक संगठनों और महासंघों के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएं रखीं. प्रमुख मांगों में आंगनवाड़ी कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाना, प्राइवेट सेक्टर में सेवानिवृति की आयु 60 वर्ष करना, असंगठित क्षेत्र के कल्याण बोर्डों में सुधार, स्कीम वर्करों के इंसेंटिव बढ़ाना, राज्य परिवहन एवं बिजली कर्मचारियों के संवित मुद्दों का समाधान शामिल था.
सभा के बाद 31 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को मांग पत्र सौंपा. बाद में हुई बैठक में BMS के 35 प्रतिनिधियों ने श्रमिकों की 250 से अधिक मांगों पर चर्चा की. मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इन मांगों के शीघ्र समाधान के लिए त्वरित कदम उठाए जाएंगे. रैली की अध्यक्षता BMS राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह डापी ने की, जबकि मंच संचालन प्रदेश उप महामंत्री विजय सिंह वाघेला ने किया. यह रैली श्रमिकों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का एक शक्तिशाली संदेश था.