Rajasthan News: राजस्थान उपचुनाव की 7 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 13 नवंबर को हो चुका है. खींवसर, चौरासी, दौसा, देवली-उनियारा, सलूंबर, रामगढ़ और झुंझुनूं में मतदाता ने अगला विधायक किसे चुना है, इसके नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. चौरासी और सलूंबर पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के साथ ही बीजेपी (BJP) और कांग्रेस, दोनों के लिए यह लड़ाई चुनौतीपूर्ण रही. क्योंकि भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने अपना गढ़ चौरासी बचाने के लिए पूरा दमखम लगाया, वहीं सलूंबर में भी पार्टी का प्रभाव दिखा है. इसी प्रभाव को रोकने के लिए करीब 4 साल पहले दोनों मुख्य पार्टियों ने ऐसा कदम उठाया, जो ना सिर्फ राजस्थान बल्कि देश की राजनीति में भी चौंकाने वाला है. डूंगरपुर जिले में बीजेपी और कांग्रेस ने बीटीपी को हराने के लिए साल 2020 में गठबंधन किया था. नतीजा यह हुआ कि जिला प्रमुख के चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी 1 वोट से हार गई. हालांकि इसके कुछ वर्षों में ही बीटीपी के सदस्यों ने नई पार्टी 'BAP' का गठन किया.
बीजेपी ने निर्दलीय प्रत्याशी को दिया था समर्थन
दरअसल, साल 2020 में जिला प्रमुख के चुनाव हुए. तब 27 सीटों में से के इस जिला प्रमुख चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने सबसे ज्यादा 13 सीटें जीती. जबकि बीजेपी 8 और कांग्रेस के 6 सदस्य ही जीते. हालांकि किसी को बहुमत नहीं मिला. ऐसे में जोड़-तोड़ की राजनीति की संभावना भी बढ़ गई थी. बीजेपी समर्थित प्रत्याशी सूर्या अहारी को कांग्रेस के सभी 6 सदस्यों ने बीजेपी को समर्थन दिया, जिसके चलते इस चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी प्रत्याशी की 1 वोट से हार हुई.
बीएपी-बीटीपी की विचारधारा से स्थानीय लोगों में भय- बीजेपी नेता
डूंगरपुर जिले में बीजेपी के संगठन प्रभारी रहे डॉ. जिनेंद्र शास्त्री ने बताया "तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने जब मुझे डूंगरपुर का दायित्व दिया था. इस दौरान जिला परिषद में परिणाम आने के बाद हमने रात में बैठक की और गठबंधन के लिए फैसला लिया. बीजेपी नेतृत्व और विचार परिवार के सदस्यों का मानना है कि भारतीय ट्राइबल पार्टी हो या भारत आदिवासी पार्टी, इसकी विचारधारा इस क्षेत्र के लिए सही नहीं है.
यही