Rajasthan News: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अब चुनावी रंगत जमने लगी है. अब दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी अपने-अपने तरीके से लोगों को उनकी पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए अपील करते नजर आ रहे हैं. बीजेपी ने जहां जोधपुर (Jodhpur) में पिछले दो चुनाव जीत चुके केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) को तीसरी बार मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने इस बार अपनी रणनीति बदलते हुए राजपूत समाज के सामने राजपूत प्रत्याशी करण सिंह उचियारड़ा (Karan Singh Uchiyarda) को मैदान में उतारा है.
गजेंद्र सिंह शेखावत इस चुनाव में अपने 10 साल के कार्यकाल में करवाए गए विकास कार्यों के साथ-साथ राम मंदिर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार पुनः सरकार बनाने के लिए लोगों से अपील करते नजर आ रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी करण सिंह उचियारड़ा शेखावत को बाहरी बता कर उन्हें घेरने का प्रयास कर रहे हैं. साथ ही साथ उनके द्वारा किसी भी प्रकार का विकास कार्य नहीं किया गया, यह कहकर लोगों से वोट मांग रहे हैं.
2014 वाला फॉर्मूला किया रिपीट
ऐसा ही नजारा लोकसभा चुनाव 2014 के वक्त भी देखने को मिला था. उस वक्त भी राजपूत के सामने राजपूत प्रत्याशी को उतारा गया था. लेकिन मोदी लहर के चलते कांग्रेस की और पूर्व राज परिवार की सदस्य चंद्रेश कुमारी चुनाव हार गई थीं. इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने चुनाव लड़ा था. लेकिन गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें भी करीब पौने तीन लाख मतों से हरा दिया था. लेकिन अब फिर से शेखावत के सामने राजपूत प्रत्याशी को खड़ा किया है. अब देखना है कि जनता इस बार किसे चुनती है. एनडीटीवी ने दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं से बातचीत कर जानने का प्रयास किया किस-किस प्रकार के मुद्दे इस बार चुनाव में देखने को मिलेंगे?
राजपूत बाहुल्य सीट है जोधपुर
जोधपुर लोकसभा सीट जोधपुर की सात विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ जैसलमेर की पोकरण विधानसभा सीट को मिलकर बनी हुई है. जोधपुर लोकसभा सीट के जातीय आंकड़ों के अनुसार, ये राजपूत बाहुल्य सीट है, जिसमें मुस्लिम, बिश्नोई, ब्राह्मण, जाट, मूल ओबीसी समाज महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. महत्वपूर्ण जातियों में राजपूत 440000, मुस्लिम 290000, बिश्नोई 180000, ब्राह्मण 140000, मेघवाल 140000, जाट 130000 और माली समाज एक लाख, वहीं वैश्य समाज 70000 के पास है जो की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वहीं एससी एसटी वर्ग के कुल चार लाख से अधिक मतदाता हैं. मेघवाल के अलावा मूल 80000, वाल्मीकि 80000, खटीक 30000, गवारिया-डोली-शास्त्री व अन्य बिश्नोई व माली के अलावा शेष मूल ओबीसी जातियां कुल चार लाख से अधिक हैं, जिसमें कुमार 70000 रावना राजपूत 60000, सुथार 60000, चारण 40000, सैन 40000, पटेल 40000 घांची 30000 देवासी 30000 दर्जी वैष्णव व अन्य जातियां जो की निर्णायक भूमिका में रहते हैं.
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