
Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा की मंगलवार की कार्यवाही में प्रश्नकाल का पहला सवाल विधायक जीवा राम चौधरी ने सांचौर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे को लेकर किया गया. इस पर कृषि मंत्री केके बिश्नोई ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खड़ी फसल को बुवाई से कटाई तक होने वाले प्राकृतिक जोखिमों से सुरक्षा दी जाती है. इसमें सूखा, लंबी सूखा अवधि, जलभराव, भू-स्खलन, बिजली गिरना, ओलावृष्टि, तूफान और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान पर बीमा देय होता है.
मंत्री ने बताया कि औसत उपज के अनुमान के लिए मुख्य फसलों का पटवारी स्तर पर 4 फसल कटाई प्रयोग तथा तहसीलस्तर पर 16 कटाई प्रयोग आयोजित किए जाते हैं.
किसान को 72 घंटे के अंदर देना होगा सूचना
प्रभावित किसान को घटना के 72 घंटे के भीतर कृषि रक्षक पोर्टल, हेल्पलाइन, वित्तीय संस्थान या कृषि विभाग को सूचना देनी होगी. सूचना मिलते ही 48 घंटे के अंदर बीमा कंपनी सर्वे के लिए अधिकारी नियुक्त करेगी. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही फसल हानि का आकलन कर किसानों को बीमा क्लेम दिया जाएगा. राजस्थान के कृषि मंत्री बिश्नोई ने कहा कि राज्य सरकार योजना के तहत किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए पूरी पारदर्शिता और तत्परता से काम कर रही है. किसानों को जागरूक करने और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए भी सरकार प्रयास कर रही है.
जूली बोले- क्लेम खारिज करने पर सरकार क्या करेगी ?
टीकाराम जूली ने सरकार से सवाल किया कि क्या ऐसा कोई नियम बनेगा जिससे कोई भी किसान बिना बीमा के न रहे. साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि बीमा कंपनियां किसानों के क्लेम खारिज कर देती हैं, ऐसे में सरकार क्या कोई सख्त कदम उठाएगी.
इस पर मंत्री गौतम दक ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने बीमा कंपनियों के सभी टेंडर पूरे कर लिए हैं, और आने वाले समय में किसानों को बीमा क्लेम के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
"सरकार कर रही मॉनिटरिंंग"
मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के बीमा क्लेम खारिज होने के कारणों की मॉनिटरिंग कर रही है. इसके लिए एक नया पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि बीमा कंपनियां किस आधार पर क्लेम रिजेक्ट कर रही हैं.
"किसानों के लिए एडवोकेट नियुक्त किया है"
मंत्री ने बताया कि बीमा विवादों को निपटाने के लिए सरकार ने एक एडवोकेट भी नियुक्त किया है, जो किसानों के पक्ष को मजबूती से रखेगा. उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि अगर उन्हें लगे कि उनका बीमा गलत तरीके से खारिज किया गया है, तो वे बीमा विनायक बोर्ड या बीमा लोकपाल के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
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