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नरेश मीणा ही नहीं, राजस्थान के ये नेता भी अधिकारियों को जड़ चुके थप्पड़, देवी सिंह भाटी को गंवाना पड़ा था मंत्री पद

Naresh Meena Thappad Kand: ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी नेता पर अधिकारी को पीटने के आरोप लगे हैं. इस फेहरिस्त में कई मंत्रियों-सांसदों के नाम भी शामिल है.

नरेश मीणा ही नहीं, राजस्थान के ये नेता भी अधिकारियों को जड़ चुके थप्पड़, देवी सिंह भाटी को गंवाना पड़ा था मंत्री पद

Rajasthan Thappad Kand: नरेश मीणा थप्पड़ कांड से पूरा राजस्थान हिल गया है. इसकी चर्चा प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर में हो रही है. एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होने के बाद नरेश मीणा पुलिस कस्टडी में है. ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी नेता पर अधिकारी को पीटने के आरोप लगे हैं. इस फेहरिस्त में कई मंत्रियों-सांसदों के नाम भी शामिल हैं. करीब 27 साल पहले देवीसिंह भाटी पर भी आईएएस अधिकारी को थप्पड़ जड़ने के आरोप लगे थे. तत्कालीन सीएम भैरोंसिंह शेखावत की सरकार में देवीसिंह भाटी (Devi Singh Bhati) सिंचाई मंत्री थे. उनके खिलाफ अपने ही विभाग में अधिकारी और 1977 बैच के आईएएस पीके देब ने मारपीट के आरोप लगाए थे. इसके बाद 6 दिसंबर 1997 को जयपुर के अशोक नगर थाने में केस दर्ज हुआ था. 

अधिकारी ने कंपनी को किया ब्लैकलिस्ट, मंत्री हो गए थे नाराज

मामला एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने से जुड़ा था, अधिकारी के इस कदम से नाराज पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी का विवाद हो गया था. जिसके बाद भाटी ने चैंबर में बुलाकर देब से मारपीट की. आरोप लगने के बाद उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा. इसकी जांच सीआईडी-सीबी को सौंपी गई. इस प्रकरण में 22 साल बाद थप्पड़ मारने की पुष्टि हुई, हालांकि यह मामला अभी लंबित है. 

जब किरोड़ीलाल मीणा को जाना पड़ा था जेल

साल 2011 में दौसा के तत्कालीन सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भी एक पुलिस अधिकारी को थप्पड़ जड़ दिया था. दरअसल, किसी मामले को लेकर किरोड़ीलाल जिला कलेक्टर से मिलना चाह रहे थे. इसी दौरान पुलिस के अधिकारी उन्हें नहीं जाने देने पर अड़ गए. पहले तो अधिकारी से किरोड़ी ने नोकझोंक की, लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने अधिकारी को थप्पड़ जड़ दिया. इस केस में किरोड़ी लाल पर मुकदमा दर्ज किया गया और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन बताते हैं कि अधिकारियों को थप्पड़ मारने और उनसे मारपीट के कई मामले सामने आते रहे हैं. लेकिन ऐसे मामलों में प्रभावशाली नेताओं के खिलाफ सरकार कदम नहीं उठा पाई. ऐसे मामले सीआईडी-सीबी को सौंपकर ठंडे बस्ते में रख दिए जाते हैं. एक प्रकरण तो ऐसा भी है कि जब मंत्री के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज हुआ तो पुलिस के आला अधिकारी ने जांच अधिकारी के लिए भी मंत्री से नाम का सुझाव लिया गया था. 

भरी बैठक में विधायक ने एसपी को ही जड़ दिया था थप्पड़

केकड़ी से विधायक रहे कांग्रेस नेता बाबूलाल सिंघारिया ने 30 जून 2001 को कलेक्ट्रेट में एक बैठक के दौरान तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया था. विवाद इतना बढ़ गया कि सिंघारिया को पार्टी ने निलंबित कर दिया. हालांकि, बाद में सिंघारिया की बहाली हो गई थी. यह घटना के दौरान अजमेर की तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा भी मौजूद थीं, जो पिछली गहलोत सरकार में मुख्य सचिव भी रहीं. कई अधिकारियों की गवाही दर्ज कर कोर्ट ने 22 साल बाद 21 मई 2003 को पूर्व विधायक को सजा सुनाई. सिंघारिया 3 साल की सजा के साथ 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया.

दलित कर्मचारी को थप्पड़ मारने का मामले ने पकड़ा था तूल

दो साल पहले नवंबर 2022 में रिश्वत को लेकर भड़के बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सीपी जोशी भी एक सरकारी कर्मचारी को थप्पड़ मार चुके हैं. चित्तौड़गढ़ के तत्कालीन सांसद सीपी से नारकोटिक्स विभाग के एक कर्मचारी की शिकायत की गई थी. आरोप थे कि कर्मचारी रिश्वत मांग रहा है. इससे नाराज होकर सीपी ने उस कर्मचारी को थप्पड़ जड़ दिया. इस मामले में सीपी की खूब किरकिरी हुई. हालांकि, उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया.

ऐसे ही विवाद में पूर्व मंत्री चांदना का भी जुड़ा नाम

2018 में राजस्थान सरकार में खेल मंत्री रहे अशोक चांदना पर बिजली विभाग के एक अधिकारी जेपी मीणा को पिटने का आरोप लगा. मीणा के मुताबिक चांदना ने उन्हें बेवजह थप्पड़ जड़ दिया. उस वक्त सियासी तौर पर इस मामले ने खूब तूल पकड़ा था. दरअसल, चांदना अपने क्षेत्र में बिजली विभाग के एक कर्मचारी की नियुक्ति से नाराज थे. चांदना का कहना था कि कर्मचारी ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा है. 

मलिंगा का भी मामला रहा चर्चा में, गहलोत ने नहीं थी कार्रवाई

2022 में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक गिर्राज मलिंगा पर बिजली विभाग के एक दलित अधिकारी को पीटने का आरोप लगा. बिजली विभाग के अधिकारी हर्षपति वाल्मीकि ने आरोप लगाया कि मलिंगा और उनके समर्थकों ने एक मामले को लेकर उनकी जमकर पिटाई कर दी. इस मामले में मुकदमा भी दर्ज हुआ, लेकिन मलिंगा पर तत्कालीन अशोक गहलोत की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. हालांकि, जब मामला हाईकमान स्तर पह पहुंचा तो 2023 के चुनाव में उनका टिकट काट दिया, जिससे नाराज मलिंगा बीजेपी में शामिल हो गए. अब इस मामले में 8 नवंबर, 2024 को कोर्ट ने सरेंडर करने के आदेश दिए हैं. 

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