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Rajasthan: तीन बचपन के दोस्तों का एक साथ हुआ अंतिम संस्कार, नई कार में सवार होकर निकले थे घूमने

नूपगढ़-सूरतगढ़ स्टेट हाईवे 94 पर बुधवार को हुए एक कार हादसे के कारण गांव में चूल्हा नहीं जला. बीते बुधवार को हुए सड़क हादसे में पर खड़े ट्रक के पीछे टक्कर हो गई.

Rajasthan: तीन बचपन के दोस्तों का एक साथ हुआ अंतिम संस्कार, नई कार में सवार होकर निकले थे घूमने
तीनों दोस्तों की अर्थियां

Anupgarh News: राजस्थान के अनूपगढ़-सूरतगढ़ स्टेट हाईवे 94 पर बुधवार को हुए एक कार हादसे के कारण गांव में चूल्हा नहीं जला. बीते बुधवार को हुए सड़क हादसे में पर खड़े ट्रक के पीछे टक्कर हो गई. इस हादसे में अनूपगढ़ के गाँव 2 पीजीएम तीन दोस्तों की दर्दनाक मौत हो गई. जबकि कार सवार अन्य 2 गंभीर रूप से घायल है. 3 मृतकों में मृतक नरेश और मुखराम चचेरे भाई थे जबकि मृतक सुरेन्द्र इनका बचपन का दोस्त था.

तीनों के शव एक साथ गांव पहुंचे

पुलिस की आवश्यक कार्रवाई होने के बाद जब तीनों के शव एक साथ गांव पहुंचे तो हाहाकार मच गया. मृतक नरेश और मुखराम का जब एक साथ उनके घर पहुंचा तो घर में मृतकों के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल हो गया. वही सुरेंद्र का शव जब घर पहुंचा तो सुरेंद्र की 2 छोटी बहनों और मौसी की रो रो कर तबीयत बिगड़ने लगी. ग्रामीणों ने बताया कि इस हादसे के कारण गांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला है. तीनों दोस्तों ने एक साथ दुनिया को अलविदा कह दिया और तीनों दोस्तों का गांव की ही कल्याण भूमि में एक साथ अंतिम संस्कार किया गया.

रात करीब पौने 3 बजे हुआ एक्सीडेंट

जैतसर पुलिस थाने के हेड कांस्टेबल शिव जी राणा ने बताया कि उन्हें बीते मंगलवार देर रात करीब 2:45 बजे सूचना मिली थी कि 5 की पुली के पास एक कार और ट्रक का एक्सीडेंट हो गया है. उन्होंने बताया कि इस हादसे में सुरेंद्र (20) और नरेश (21) की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि मुखराम (19) की हालत गंभीर होने के कारण उसे सूरतगढ़ हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया था जहां उसकी भी मौत हो गई. इस हादसे में कार चालक जगदीश (28) और सुखदेव (19) गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

तीनों शव एक साथ पहुंचे गांव

इस हादसे में तीन दोस्तों की दर्दनाक मौत हो गई.हादसे के बाद मृतक मुखराम का शव सूरतगढ़ में था और नरेश तथा सुरेन्द्र का शव जैतसर में था. पुलिस की कार्रवाई के बाद तीनों मृतकों के परिजन और ग्रामीण एक साथ 2 गाड़ियों में तीनों के शव लेकर जैसे ही गांव 2 पीजीएम पहुंचे उस समय गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ था. मृतक सुरेन्द्र के पड़ोसी शेर सिंह ने बताया कि इस दुखद हादसे के कारण गांव के किसी भी घर मे चूल्हा तक नही जला है.

एक घर से उठी 2 अर्थियां

इस हादसे में 2 चचेरे भाई नरेश और मुखराम की दर्दनाक मौत हो गई. मिली जानकारी के अनुसार नरेश मजदूरी करता था और मुखराम नाई का काम करता था। मुखराम नरेश के चाचा का बेटा था और दोनों परिवार एक साथ ही रहते हैं. जब दोनों के शव एक साथ उनके घर पहुंचे तो परिजनों के साथ-साथ ग्रामीणों के भी आंखें नम हो गई। नरेश और मुखराम कि माँ और बहने रोते हुए बार बार दोनो को उठने के लिये कह रही थी मगर अब दोनो भाई अपने परिवार वालो की आवाज भी नही सुन पा रहे थे.

"भाई तू बिना बताये घर से क्यों गया..."

मृतक सुरेन्द्र का शव उनके घर पहुंचने पर सुरेन्द्र की मौसी और 3 बहनों का रो-रो कर बुरा हाल था. सुरेन्द्र की 2 छोटी बहन मोनिका और ममता रोते हुए बार-बार अपने भाई को पुकार रही थी. मोनिका के मुंह से सिर्फ एक ही वाक्य निकल रहा था कि "भाई तू बिना बताए घर से क्यों गया" हालांकि गांव के अन्य महिलाओं के द्वारा बहनों को ढाढस बंधाने का प्रयास किया जा रहा था मगर उनके सभी प्रयास असफल हो रहे थे. इस हादसे के कारण दोनों बहनों की तबीयत बिगड़ने पर मौके पर ही डॉक्टर को बुलाना पड़ा.

घर पर बिना बताये गए थे सभी दोस्त

मृतक सुरेन्द्र के बड़े भाई सुनील ने बताया कि करीब 15 साल पहले उनके माता-पिता की एक बीमारी के कारण मौत हो चुकी है। वह 6 भाई-बहन है और सुरेंद्र चौथे नंबर पर था. उन्होंने बताया कि सुरेंद्र अनूपगढ़ के बाजार में एक दुकान पर लोहे की संदूक और अलमारी बनाने का काम करता था. उन्होंने बताया कि मंगलवार रात करीब 8:30 बजे सुरेंद्र घर पर ही था. उस दौरान उसका दोस्त सुखदेव बाइक लेकर घर आया. सुखदेव ने अपनी बाइक उनके घर पर खड़ी कर दी और सुखदेव और सुरेंद्र बिना कुछ बताये सुरेन्द्र की बाइक पर लेकर घर से चले गए.

गांव के ही एक दोस्त को भी ले जाना चाहते थे साथ

गांव के ही बाइक मैकेनिक रमेश कुमार पुत्र प्रीतम सिंह ने बताया कि सुरेंद्र, नरेश, मुखराम और सुखदेव उसके बचपन के दोस्त हैं. मंगलवार रात करीब 8:45 बजे चारों दोस्त उसके घर आए और उन्होंने सुरेंद्र की बाइक सही करवाई. रमेश ने बताया कि बाइक सही करवाते समय सुखदेव और सुरेंद्र ने उनके साथ घूमने के लिए गाँव 4ए साथ चलने के लिए कहा. रमेश ने बताया कि उसी समय उसके ताऊजी ने उन्हें देख लिया था इसलिए उसने इन सभी दोस्तों के साथ जाने के लिए मना कर दिया. रमेश ने बताया कि मंगलवार रात करीब 9:30 बजे ये चारों उसके घर से चले गए.

नरेश को जिद्द कर के ले गए थे अपने साथ

रमेश कुमार ने बताया कि उसने तो उनके साथ जाने से मना कर दिया था। उन्होंने बताया कि उसी दौरान नरेश भी उनकी बाइक से उतर गया था और नरेश ने भी जाने से मना कर दिया था। नरेश बाइक से उतर कर अपने घर की ओर चल पड़ा था मगर उसी दौरान सुखदेव और सुरेंद्र उसके साथ जिद करने लग गए और उसे जबरन बाइक पर बिठा लिया और उसे भी अपने साथ ले गए.

करीब पौने 12 बजे गांव से अर्टिगा कार से रवाना हुए थे सभी दोस्त

सुखचरन सिंह पुत्र सुखदेव सिंह ने बताया कि गांव मे प्रवेश करते ही उसका घर और चक्की है. उन्होंने बताया कि मंगलवार रात करीब 11:30 बजे जगदीश अपनी अर्टिगा कार को लेकर आया था. सुखचरण ने बताया कि कार की आवाज सुनकर वह घर से बाहर आया तो उसने देखा कि जगदीश फोन पर किसी से बात कर रहा है. बात करते-करते वह वहां से कार को वहां से गाँव मे चला गया. सुखचरन ने बताया कि रात करीब 11:45 बजे जगदीश की अर्टिगा कार में यह सभी दोस्त गाँव से अनूपगढ़ की ओर रवाना हो गए थे.

जगदीश ने अंतिम नवरात्रि पर ली थी नई कार

कल्याण भूमि में मौजूद लोगों ने बताया कि जगदीश ने अंतिम नवरात्रि पर नई अर्टिगा कर ली थी. जगदीश करीब 16-17 सालों से टैक्सी चलाने का काम करता है। इससे पहले उसके पास क्रूजर गाड़ी हुआ करती थी.

पल्लू जाते समय हुआ हादसा

सुखचरन सिंह ने बताया कि रात करीब 2:15 बजे यह हादसा हुआ है, उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह करीब 5 बजे हादसे की सूचना मिलने पर जब वह श्रीगंगानगर हॉस्पिटल सुखदेव सिंह के पास पहुंचे तो सुखदेव सिंह ने बताया कि यह सभी दोस्त रात को अपने गांव से पल्लू जाने के लिए रवाना हुए थे मगर जैतसर क्षेत्र में पांच की पुली के पास यह दर्दनाक हादसा हो गया.

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