
Rajasthan News: दिवाली का पर्व राजस्थान की जान है, लेकिन इस बार सवाई माधोपुर में एक अनोखा और बड़ा विरोध देखने को मिला. जहां पूरा राजस्थान दीयों और रोशनी से जगमगा रहा था, वहीं सवाई माधोपुर के 76 गांवों में 20 अक्टूबर की रात 'काली दिवाली' मनाई गई. यह विरोध था सरकार की डूंगरी बांध परियोजना के खिलाफ, जिसने पूरे जिले को हिला कर रख दिया है.
पूरे एक घंटे के लिए 'ब्लैक आउट'
सवाई माधोपुर और करौली की सीमा पर प्रस्तावित डूंगरी बांध पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) का हिस्सा है. इस बांध के डूब क्षेत्र में 76 से ज्यादा गांव आ रहे हैं, जिससे सैकड़ों परिवारों के उजड़ने का खतरा पैदा हो गया है. डूंगरी बांध विरोध आंदोलन संघर्ष समिति के आह्वान पर, प्रभावित गांवों के ग्रामीणों ने दिवाली की रात एक अनोखा तरीका अपनाया. बीती रात 8 बजे से 9 बजे तक, इन सभी गांवों ने अपने घरों के सारे दीपक बुझा दिए और पूरा ब्लैक आउट कर दिया. जहां बाकी राजस्थान में पटाखे फूट रहे थे, वहीं इन गांवों ने अंधेरे में रहकर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया. ग्रामीणों का सीधा कहना है कि यह परियोजना उनके खेतों, घरों और पर्यावरण को खत्म कर देगी. वे विस्थापन के डर से लड़ रहे हैं.
ग्रामीणों की सरकार दो टूक चेतावनी
आंदोलन के संयोजक कमलेश पटेल ने कहा कि यह 'काली दिवाली ब्लैकआउट' साबित करता है कि डूंगरी क्षेत्र के लोग कितने एकजुट हैं और वे किसी भी कीमत पर अपना गांव नहीं छोड़ेंगे. ग्रामीणों ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों से पुरजोर मांग की है कि लोगों को उजाड़ने वाली इस डूंगरी बांध परियोजना को तुरंत रद्द किया जाए. पटेल ने साफ-साफ चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जनता की इस 'राजस्थानी आवाज' को नहीं सुना, तो आंदोलन को किसी भी हद तक ले जाया जाएगा. सवाई माधोपुर की दिवाली पर हुआ यह 'ब्लैक आउट' इस बात का सबूत है कि राजस्थान के लोग अपने हक और जमीन के लिए एकजुट होकर लड़ने को तैयार हैं.
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