Rajasthan News: मेवाड़ और यहां के वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के इतिहास के साथ छेड़छाड़ को लेकर पाठ्यक्रम हो या राजनीतिक बयान, कई विवाद सामने आते रहे हैं. लेकिन अब विवाद उठा है महाराणा प्रताप के सेनापति कहे जाने वाले राणा पूंजा को लेकर. विवाद यह है कि राणा पूंजा किस जाति के थे भील या राजपूत. इस मामले में बांसवाड़ा BAP सांसद राजकुमार रोत और उदयपुर BJP सांसद मन्नालाल रावत को लीगल नोटिस जारी किया गया है.
राजकुमार रोत और मन्नालाल रावत के लिए यह लीगल नोटिस मानहानि का है जिसे सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह ने जारी किया है. नोटिस के बाद विवाद की चर्चाएं गरमा गई है. वहीं अब इस मामले में राजकुमार रोत और मन्नालाल रावत के जवाब का इंतजार किया जा रहा है. जबकि कांग्रेस नेता हरिश चौधरी ने भी नोटिस जारी किया है.
सांसद रोत ने भाषण तो मन्नालाल रावत ने लिखित में कहा राणा पूंजा भील
दरअसल, 5 अक्टूबर को उदयपुर जिले के पानरवा में राणा पूंजा जयंती पर कार्यक्रम आयोजित हुआ था. इस कार्यक्रम में सांसद राजकुमार रात ने राणा पूंजा की जाति भील बताई गई. बाद में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के साथ हल्दी घाटी के युद्ध में भील लड़कों ने लड़ाई लड़ी थी. साथ ही मेवाड़ के प्रतीक चिन्ह में महाराणा प्रताप के साथ राणा पूंजा की मौजूदगी इसका प्रतीक है. वहीं नोटिस में बताया कि मन्नालाल रावत ने एक किताब या अन्य जगह राणा पूंजा भील लिखा है. इसके लिए उन्हें भी नोटिस भेजा गया है. हालांकि हम बात करें मन्नालाल रावत की तो वह अपने जारी वीडियो में राणा पूंजा को राजपूत कहते हुए नजर आए हैं.
15 दिन जवाब देने की मोहलत
राजकुमार रोत और मन्नालाल रावत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह के अलावा बायतु के कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने भी नोटिस जारी किया है. नोटिस में राणा पूंजा को लेकर तर्क दिया गया है कि उनकी 16वीं पीढ़ी और पूर्व जागीरदार मनिहार सिंह सोलंकी हैं जो उदयपुर जिले के पानरवा में रहते हैं. लेकिन राणा पूंजा सिंह सोलंकी को सार्वजनिक रूप से भील समुदाय का बताया गया है. वकील रीना एन सिंह का कहना है कि सारे तथ्य हमारे पास हैं. इसके लिए हमने नोटिस में 15 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है.
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