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Ranthambore: अब उदयपुर में गूंजेगी रणथंभौर के बाघों के दहाड़, अगले 10 साल में बनेगा प्राकृतिक कॉरिडोर

वर्तमान में देश में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे में भविष्य में टेरिटरी की तलाश को लेकर बाघों के उदयपुर की तरफ आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसी को ध्यान में रखते हुवे प्राकृतिक टाईगर कॉरिडोर योजना पर काम किया जा रहा है .

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Ranthambore: अब उदयपुर में गूंजेगी रणथंभौर के बाघों के दहाड़, अगले 10 साल में बनेगा प्राकृतिक कॉरिडोर
प्राकृतिक कॉरिडोर के लिए 10 साल का मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है

Ranthambore National Park: बाघों की अठखेलियों को लेकर विश्व स्तर पर अपनी ख़ास पहचान रखने वाले सवाई माधोपुर के रणथंभौर के बाघों की दहाड़ अब झीलों की नगरी उदयपुर तक गूंजेगी. उदयपुर के वन विभाग द्वारा बस्सी के कंजर्वेशन रिजर्व से एक प्राकृतिक टाईगर कॉरिडोर को विकसित करने पर काम किया जा रहा है. इसके चलते रणथंभौर के बाघ-बाघिनों से उदयपुर के जंगलों को आबाद करने की योजना है .

उदयपुर वन विभाग द्वारा 10 साल के मैनेजमेंट प्लान को लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक सही चला तो प्रदेश को इस साल टाइगर कॉरिडोर की सौगात मिल सकती है. बस्सी कंजर्वेशन में पैंथर समेत कई प्रजाति के वन्यजीव विचरण करते है.

आएगा करीब 50 करोड़ रुपए का खर्च

वन अधिकारियों के मुताबिक बस्सी से उदयपुर तक के जंगलों में प्राकृतिक कॉरिडोर तक ग्रेसलैंड विकसित करने की योजना पर काम करने की तैयारी की जा रही है. जल्द ही वन विभाग द्वारा यह प्रस्ताव तैयार कर उच्च अधिकारियों को भिजवाया जाएगा. इस योजना में करीब 50 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है.

वन अधिकारियों के मुताबिक रणथंभौर से बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व और कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व तक एक प्राकृतिक कॉरिडोर बना हुआ है. इस कॉरिडोर के माध्यम से पूर्व में भी कई बार रणथंभौर के बाघ बाघिन रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व व  कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व तक पहुंचे हैं.

उदयपुर के वन विभाग के सीसीएफ राजकुमार जैन के मुताबिक प्राकृतिक टाइगर कॉरिडोर को विकसित करने की दिशा में योजना बनाई जा रही है. इसके लिए 10 साल का मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है.

उदयपुर में गूंजेगी रणथंभौर के बाघों की दहाड़ 

पूर्व में कोटा के मुकुंदरा टाइगर हिल से निकलकर एक बाघ भैसोरगढ़ वन क्षेत्र के जंगलों में पहुंच गया था.जबकि भैसोरगढ़ से बस्सी तक की दूरी महज 25 किलोमीटर है. ऐसे में यदि यह टाइगर कॉरिडोर को पूरी तरह से विकसित किया जाता है तो आने वाले समय में रणथंभौर के बाघों की दहाड़ उदयपुर के जंगलों में भी सुनाई दे सकती है.

बाघों की बढ़ती संख्या से काम पड़ रही टेरिटरी

गौरतलब है वर्तमान में देश में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे में भविष्य में टेरिटरी की तलाश को लेकर बाघों के उदयपुर की तरफ आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसी को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक टाईगर कॉरिडोर योजना पर काम किया जा रहा है.

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