
Sawai Madhopur News: राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित राज्य के सबसे बड़े रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों के शिकार से जुड़े मामलों को रोकने के लिए वन विभाग की ओर से एक नई पहल की गई है. इसके तहत रणथंभौर में स्निफर डॉग स्क्वायड की तैनाती की गई है.इससे पहले यहां वन्यजीवों के शिकार को रोकने के लिए शिकार विरोधी केंद्र ( Anti poaching Centre) की स्थापना की गई थी. स्निफर डॉग स्क्वायड के जरिए रणथंभौर में न केवल शिकार की घटनाओं को रोकने में कारगर साबित होंगे, बल्कि शिकार और अन्य आपराधिक घटनाओं में शामिल शिकारियों की पहचान कर उन तक पहुंचने में वनकर्मियों के लिए भी मददगार साबित होंगे.
ITBP पंचकूला में 7 महीने की दी ट्रेनिंग
रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप के आर ने रणथंभौर में तैनात डॉग स्क्वायड के बारे में बताया. तैनाती से पहले इन्हें आईटीबीपी (ITBP )पंचकूला में 7 महीने की ट्रेनिंग दी गई थी. जिसके बाद बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल की मादा डॉग लूसी और दो प्रशिक्षक डॉग हैंडलर फॉरेस्ट गार्ड मुकुट मीणा और असिस्टेंट डॉग हैंडलर फॉरेस्ट गार्ड रोहित मीणा को यहां तैनात किया जाएगा. इसे डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ( WWF India) ने स्पॉन्सर किया था.

मादा डॉग लूसी
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संदिग्ध वस्तुओं की गंध सूंघकर शिकारियों पता लगा लेती है मादा डॉग लूसी
ट्रेनिंग में मादा डॉग लूसी को शिकारियों और संदिग्ध वस्तुओं की गंध सूंघकर उन तक पहुंचने का प्रशिक्षण दिया गया है. डॉग स्क्वायड के तहत रणथंभौर में तैनात मादा डॉग लूसी किसी भी वस्तु को सूंघकर अपराध स्थल और अपराध में शामिल आरोपियों तक आसानी से पहुंच सकती है. डॉग लूसी वस्तु की गंध से ही अपराध और अपराधियों का पता लगा सकती है. इसे रणथंभौर में तैनात करने से यहां वन्यजीवों के शिकार पर अंकुश लगेगा.
जंगल में छिपे बारूदों को लेंगे पहचान
इस बारे में सीसीएफ अनूप के आर के अनुसार, दुनिया के कई राष्ट्रीय उद्यानों में डॉग स्क्वॉड तैनात हैं और इससे वन्यजीवों के शिकार, तस्करी और अन्य अपराधों पर अंकुश लगाने में सफलता मिली है. कई बार शिकारी वन्यजीवों का शिकार करने के लिए जंगल में बारूद के गोले छिपा देते हैं, जो फट जाते हैं और वन्यजीवों की मौत हो जाती है, ऐसे में डॉग स्क्वॉड शिकार से पहले ही जंगल में छिपे ऐसे बारूद के गोलों का पता लगा सकेगा और वन्यजीवों को शिकार होने से बचाया जा सकेगा. सीसीएफ ने इसे लेकर आगे बताया कि दोनों प्रशिक्षु डॉग हैंडलर मादा डॉग लूसी की देख रेख रखेंगे और उन्हीं के नेतृत्व में रणथंभौर में यह डॉग स्क्वायड काम करेगी. रणथंभौर राजस्थान का के जरिए वन्यजीवों की सुरक्षा में उठाया गया यह कदम वाकई सराहनीय है और इससे वन्यजीवों की सुरक्षा पहले से बेहतर होगी.
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