
Rajasthan: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एक डॉक्टर को मरीज के साथ भद्दा मजाक करते हुए देखा जा सकता है. पथरी का इलाज कराने आए मरीज से डॉक्टर ने पूछा, "तुमने वोट किसे दिया था?" फिर कहता है, "जिसे वोट दिया है, उससे कहो कि अस्पताल में जांच मशीन लगवा दे. इतना तो वो कर ही सकता है." इसके बाद डॉक्टर अपने साथियों के साथ हंसता है.
दर्द से कराह रहा था मरीज
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो करीब 1 मिनट 47 सेकंड का है. वीडियो में देखा जा सकता है कि पथरी से पीड़ित एक मरीज डॉक्टर से मिलने पहुंचता है. डॉक्टर ने उसे सोनोग्राफी की जांच लिख दी. जब मरीज जांच कराने पहुंचा, तो उसे बताया गया कि जांच की वेटिंग लिस्ट एक महीने लंबी है. मरीज ने दर्द की शिकायत करते हुए डॉक्टर से निवेदन किया कि या तो जल्दी जांच करवा दी जाए या कोई दवा दे दी जा, जिससे राहत मिल सके.
बाड़मेर राजकीय अस्पताल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें डॉक्टर मरीज की परेशानी का मजाक उड़ाते नजर आ रहा है. पथरी से परेशान मरीज जब अस्पताल में सोनोग्राफी करवाने पहुंचा तो लंबी वेटिंग लिस्ट बोलकर 1 महीने बाद आने के लिए बोला गया, जिसके बाद मरीज वापस डॉक्टर… pic.twitter.com/SEHyY6iZg4
— NDTV Rajasthan (@NDTV_Rajasthan) April 21, 2025
"MLA फंड से मशीन लगवा सकते हैं"
इस पर डॉक्टर ने तंज कसते हुए कहा, "सरकार से बोलो कि नई सोनोग्राफी मशीन लगवा दे या जिसे वोट दिया है, उससे कहो नई मशीन लगवा दे. जब डॉक्टर ने पूछा कि वोट किसे दिया था, तो मरीज ने जवाब दिया, "रविंद्र सिंह भाटी को." इस पर डॉक्टर ने कहा, "तो भाटी से कहो कि नई मशीन लगवा दे. वोट दिए हैं तो इतना तो कर ही सकते हैं. MLA फंड से मशीन लगवा सकते हैं." इसके बाद डॉक्टर और उनके सहयोगी इस बात पर ठहाका लगाते हैं.
सोनोग्राफी जांच में 1-2 महीने की वेटिंग
बाड़मेर के सबसे बड़े अस्पताल में सोनोग्राफी जांच के लिए मरीजों को एक से दो महीने तक इंतजार करना पड़ता है. अस्पताल में दो मशीनें हैं, एक सामान्य ओपीडी में और दूसरी गायनिक वार्ड में, लेकिन दोनों पर वेटिंग लिस्ट काफी लंबी है. गंभीर और भर्ती मरीजों की जांच को प्राथमिकता दी जा रही है. पथरी और पेट दर्द जैसे मामलों में आने वाले मरीजों को एक से डेढ़ महीने की तारीख दी जा रही है. कई बार अस्पताल प्रशासन से तीसरी जांच मशीन लगाने की मांग की गई है, लेकिन प्रशासन रेडियोलॉजिस्ट की कमी का हवाला देकर मामला टाल देता है. ऐसे में मजबूरीवश मरीजों को महंगे प्राइवेट सेंटर्स में जाकर जांच करवानी पड़ रही है.
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