Rajasthan Public Service Commission: राजस्थान लोक सेवा आयोग ने प्रदेशभर में संचालित लगभग 80 हजार ई-मित्र कियोस्क संचालकों की गंभीर लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है. आयोग ने पाया है कि कई ई-मित्र संचालक अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता की जांच किए बिना ही ऑनलाइन आवेदन भर रहे हैं. इस लापरवाही के कारण विभिन्न भर्तियों में बड़ी संख्या में अपात्र अभ्यर्थियों के आवेदन आयोग को प्राप्त हो रहे हैं. आयोग ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सूचना एवं प्रौद्योगिकी और संचार विभाग को पत्र भेजकर ई-मित्र संचालकों को सख्त निर्देश जारी करने को कहा है.
आयोग सचिव राम निवास मेहता ने बताया कि जब भी किसी भर्ती का विज्ञापन जारी होता है, तब कई ई-मित्र संचालक अभ्यर्थी की मूल शैक्षणिक योग्यता की जांच नहीं करते. केवल मोबाइल पर आए ओटीपी के आधार पर आवेदन भर दिया जाता है.
बिना योग्यता के आते हैं लाखों आवेदन
इसका नतीजा यह होता है कि लाखों ऐसे अभ्यर्थी आवेदन कर देते हैं, जो संबंधित पद के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता भी नहीं रखते. इससे परीक्षा आयोजन, जांच प्रक्रिया और परिणाम तैयार करने में अनावश्यक श्रम, समय और सरकारी धन की बर्बादी होती है, जो पूरी तरह से रोकी जा सकती है.
कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
आयोग ने स्पष्ट किया है कि गलत तरीके से आवेदन भरना केवल अभ्यर्थी की गलती नहीं है. ऐसा करने वाले ई-मित्र संचालक भी भारतीय न्याय संहिता की धारा 217 के तहत अपराध के भागीदार माने जाएंगे. आयोग ने सभी जिला कलेक्टरों से भी अपने-अपने जिलों में ई-मित्र संचालकों की निगरानी कर नियमों का उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
साथ ही सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग को ई-मित्र संचालकों को आवश्यक प्रशिक्षण व दिशा-निर्देश देने के निर्देश दिए गए हैं. आयोग ने अभ्यर्थियों से भी अपील की है कि वे आवेदन से पहले अपनी योग्यता विज्ञापन के अनुसार जरूर जांच लें, अन्यथा कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
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