विज्ञापन
This Article is From Oct 14, 2023

Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि के विशेष योग, शुभ मुहूर्त और व्रत के दौरान बरते जाने वाली सावधानियां

Shardiya Navratri: इस बार शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ अनेक दुर्लभ संयोगों से हो रहा है. इस शारदीय नवरात्रि में सूर्य और बुध के योग से बुधादित्य नामक योग और बुध के स्वराशि से भद्र नामक योग और शनि के स्वराशि होने से शश नामक योग बन रहा है.

Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि के विशेष योग, शुभ मुहूर्त और व्रत के दौरान बरते जाने वाली सावधानियां
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि (shardiy navratri) की शुरुआत हो रही है.

Shardiya Navratri : शारदीय नवरात्र की शुरुआत रविवार से हो रही है. इसे लेकर देश पर में तैयारियां जोर-शोरों पर है. इस बार शारदीय नवरात्र का शुभ मुहूर्त क्या है? क्या विशेष संयोग बन रहा है? कलश स्थापना के साथ व्रत रखने के दौरान किन चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए? इन सब चीजों के बारे में NDTV राजस्थान ने ज्योतिष पंडित अनिल कुमार से बात की. उन्होंने इन सब बातों के साथ-साथ शारदीय नवरात्रि के बारे में और भी कई बाते बताई. पंडित अनिल कुमार ने बताया कि सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न शंसयः॥ देवी मां ने यहां पर कहा कि में अपने भक्तों की सारी बाधाओं को दूर कर देती हूं और उनको धन धान्य सुख संपति की प्राप्ति कराने वाली हो जाती हूं.

दुर्लभ संयोगों से हो रहा है आरंभ 

पंडित अनिल कुमार ने बताया कि इस बार शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ अनेक दुर्लभ संयोगो से हो रहा है. इस शारदीय नवरात्रा में सूर्य और बुध के योग से बुधादित्य नामक योग और बुध के स्वराशि से भद्र नामक योग और शनि के स्वराशि होने से शश नामक योग बन रहा है.यह ग्रहों का दुर्लभ संयोग कई दशकों के बाद बनने जा रहा है.जो योग शारदीय नवरात्रि को अत्यधिक खास बनाने के लिए जा रहा है.

इस बार मां का आगमन हाथी पर हो रहा है. जो शुभ माना जाता है.

इस बार मां का आगमन हाथी पर हो रहा है. जो शुभ माना जाता है.

कलश स्थापना का विशेष मूहूर्त

शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष मूहूर्त अभिजीत मुहूर्त रहेगा. जो सुबह 11 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर रहेगा. इस अवधि में कलश की स्थापना करना शुभ फलदाई रहेगा.

दुर्गा सप्तशती के पाठ में रखें विशेष सावधानी

दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत लोग इस पाठ को नौ दिन तक करते है. इस पाठ में विशेष सावधानी यह रखनी चाहिए कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पूर्व सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र वह स्तोत्र है जो दुर्गा सप्तशती की चाबी है. इसके पाठ करने के उपरांत ही व्यक्ति को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए

पंडित अनिल कुमार ने बताया कि इस संबंध में एक श्लोक भी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में दिया गया है. शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् । येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत.. अर्थात सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के मंत्र का जाप करने के उपरांत ही दुर्गा सप्तशती के पाठ का पूर्ण फल व्यक्ति को प्राप्त होता है. इसके अलावा अधिकत्तर लोग दुर्गा सप्तशती के अतरिक्त नवरात्रि में नौ दिन तक व्रत करते है.

नौ दिन के व्रत में यह रखें विशेष सावधानियां 

नवरात्रि में नौ दिन के व्रत में यह विशेष सावधानी रखनी चाहिए. इस संबध में धर्म सिंधु में व्रतों के अनुष्ठान में यह बताया गया है कि व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए व बार-बार जल नहीं पीना चाहिए. व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का विशेष रूप से पालन करना चाहिए और व्रत करने वाले व्यक्ति को एक बार भी पान नहीं खाना चाहिए. तब ही व्यक्ति को व्रत का पूर्ण रूप से फल प्राप्त होता है.

ये भी पढ़ें - नवरात्रिः भारत-पाक युद्ध का साक्षी रहे तनोट माता के मंदिर में कल से उमड़ेगा भक्तों का सैलाब

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close