
Rajasthan News: सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 (SI Bharti 2021) रद्द होने के बाद उन चयनित अभ्यर्थियों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया, जिन्होंने तिल-तिल मेहनत कर, बिना किसी हेराफेरी सिर्फ अपनी मेहनत के बलबूते सफलता का स्वाद चखा था. अब चार वर्ष बाद एकाएक भर्ती रद्द होना ना सिर्फ चयनित अभ्यर्थियों बल्कि उनके परिवार के लिए एक बड़ा अभिशाप साबित हो रहा है. हनुमानगढ़ जिले में किशनपुरा उत्तरादा गांव के सुभाष की कुछ ऐसी ही कहानी है, जो भर्ती रद्द होने के बाद उनके परिवार पर किसी वज्रपात से कम नहीं है.
बच्चों के भविष्य के लिए मां ने की मजदूरी
सुभाष की मां ने मनरेगा में मजदूरी कर अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए दिन रात मेहनत की. अचानक 2012 में बेटियों के ससुराल जाने के लिए निकले पति रहस्य तरीके गायब हो गए, जिनकी आज भी तलाश है. फिर बड़े बेटे ने भी ना सिर्फ दिहाड़ी, खेतीहर मजदूरी, बल्कि 3-4 हजार मासिक की नौकरी कर अपनी शिक्षा पूरी की और फिर बहनों की शादी, फिर भाई की पढ़ाई में मां के खून पसीने में अपना सहयोग दिया.
संगरिया के किशनपुरा उत्तरादा गांव में विमला देवी का एक छोटा सा दो कमरे का घर है, जो कुछ साल पहले ही सरकारी योजनाओं की मदद से पक्का हो पाया था. बेहद छोटा घर और उसमें भी बिल्कुल जरूरत का सामान- जैसे चारपाई, छोटा सा संदूक, दीवार पर लटकती छोटी छोटी तीन चार तस्वीर, धूल से सना टेलीविजन, छोटा सा स्टडी टेबल है. ये सारी चीजें उस संघर्ष को बयां करती हैं कि किन हालातों में परिवार की गुजर बसर हो रही है.

सुभाष ने हासिल किए थे 292वीं रैंक
इसी परिवार में एक मां और उसके दो बेटे और दो बेटियां है, बेटियां जहां शादी के बाद अपने ससुराल चली गईं तो बड़ा बेटा सुभाष मां की मदद के लिए दिहाड़ी, मजदूरी और छोटी मोटी नौकरी करता था. फिर इसी बड़े बेटे सुभाष ने अपनी मेहनत से उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा (SI Bharti 2021) में 292 वीं रैंक के साथ चयनित होकर मां के सपनों को पंख लगा दिए. मां के सपनों को उड़ान मिलना जायज भी था, क्योंकि लगभग 15 साल के संघर्ष को बेटे ने अपनी सफलता से नई ऊंचाइयां जो दी थीं.
इससे पहले 2016 में ग्रेजुएशन पूरी होते ही आई उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा (SI Bharti 2021) में भी सुभाष ने 208 वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन होरिजेंटल आरक्षण प्रक्रिया का दंश भोगना पड़ा था, जिस प्रक्रिया में सरकार ने अगली परीक्षाओं में सुधार भी किया, लेकिन 2016 में हुई आरक्षण विसंगति के चलते सुभाष का चयन नहीं हो पाया था. सुभाष भी अपने भाई, मित्रों को उनकी शिक्षा और एग्जाम्स के लिए हमेशा मदद करता था.
भर्ती रद्द होना परिवार के लिए बड़ा झटका
एनडीटीवी से बातचीत में सुभाष की मौसी सोना देवी, भाई और दोस्तों ने रुंधे गले से बताया कि कैसे संघर्षों में मां का सहयोग करते हुए स्कूली शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से पूरी की. ना सिर्फ खुद की ग्रेजुएशन पूरी की, बल्कि बहनों की शादी और भाई की शिक्षा में भी सहयोग के लिए मेहनत करता रहा. अब एसआई में चयनित होने के बाद लगा कि परिवार के संघर्ष अब खत्म हो जाएंगे और इस परिवार के जीवन में एक स्थायित्व आ जाएगा, लेकिन अब भर्ती परीक्षा निरस्त हो जाना, कहीं ना कहीं इस परिवार और परिवार से जुड़े मित्रों, रिश्तेदारों के लिए भी एक बड़ा झटका है.
इन खुशियों पर उस दिन वज्रपात हो गया, जिस दिन न्यायालय ने इस भर्ती परीक्षा को निरस्त कर परीक्षा दोबारा करवाने का निर्णय सुना दिया. पुलिस जांच में सामने आया कि नकल गैंग ने मोटी राशि वसूल कर कई उपनिरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) बनाए, लेकिन जिस घर में सामान्य जीवन जीने तक का संघर्ष चल रहा है वो परिवार कैसे पेपर खरीद कर धांधली में शामिल हो सकते है. अब परीक्षा निरस्त होने का दंश अब परिवार को अनिश्चितता भरे भविष्य की ओर धकेल रहा है.
यह भी पढे़ं-
SI भर्ती रद्द होने पर युवाओं का छलका दर्द, बोले- लगी नौकरी छोड़ा... अब बन गया धोबी का कुत्ता