
राजस्थान में झालावाड़ पुलिस ने सरकारी योजनाओं को ठगने वाले एक अंतर्राज्यीय साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है. यह गिरोह किसानों और पेंशनधारकों के नाम पर सरकारी खज़ाने को लूट रहा था. झालावाड़ पुलिस ने इस विशेष ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन शटरडाउन रखा जो पूरी तरह से गोपनीय रखा गया. इसमें पूरी तैयारी के साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर 70 पुलिस टीमों ने मिलकर छापेमारी की और गिरोह के मास्टरमाइंड समेत 30 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया. पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है. साथ ही वित्तीय लेन-देन का सिरा पकड़ने के लिए स्टेट बैंक से मदद ली जा रही है.
राजस्थान-मध्य प्रदेश की सीमा पर छापेमारी
झालावाड़ पुलिस ने ऑपरेशन शटरडाउन की जानकारी देते हुए कहा कि झालावाड़ पुलिस को एक व्हिसल ब्लोअर की ओर से इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली थी. इसके बाद एक अभियान की योजना बनाई गई. पुलिस की 70 टीमों ने लगातार 70 घंटे तक अभियान चलाया. इसके तहत राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमाओं पर एक साथ छापे मारे गए. हर टीम से लाइव कोऑर्डिनेशन रखा गया और इसके लिए जिला मुख्यालय में एक खास साइबर कंट्रोल रूम बनाया गया था. इस कंट्रोल रूम से खुद पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने पूरे ऑपरेशन की निगरानी की.

छापेमारी में जब्त कैश
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कैसे सरकारी खजाने को लूट रहा था गिरोह
झालावाड़ पुलिस के मुताबिक इन साइबर अपराधियों का मास्टरमाइंड रामावतार सैनी है. उसे सरकारी पोर्टलों की गहरी जानकारी थी. इसका लाभ उठाकर यह गिरोह पहले ग्रामीणों से आधार और बैंक खाते लेकर उन्हें फर्जी लाभार्थी बनाता था. इसके बाद यह गिरोह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, पेंशन और राहत योजनाओं से करोड़ों रुपये इन खातों में ट्रांसफर करवा कर एजेंटों के ज़रिए वसूल लेता था.

जब्त किए गए लग्जरी वाहन और बाइक
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30 आरोपी गिरफ्तार
इस ऐतिहासिक अभियान में पुलिस ने 30 आरोपियों को दबोचा है. इनमें गिरोह का मास्टरमाइंड रामावतार सैनी भी शामिल है. इस कार्रवाई में 52 लाख 69 हजार रुपये नकद बरामद किए गए हैं. साथ ही 14 लग्जरी कारें और कई बाइक, 35 लैपटॉप-कंप्यूटर जब्त किए गए हैं.
इनके अलावा सैकड़ों बैंक व पहचान दस्तावेज बरामद किए गए हैं. मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है. साथ ही, भारतीय स्टेट बैंक के विशेषज्ञ अधिकारी भी इस वित्तीय घोटाले की धन-श्रृंखला का विश्लेषण कर रहे हैं.