Health News: सिद्ध चिकित्सा भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है, जो तमिलनाडु से शुरू हुई. यह शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का प्राकृतिक तरीका है. 'सिद्ध' का अर्थ है पूर्णता. यह पद्धति त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित कर पाचन तंत्र को मजबूत करती है और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है.
सिद्ध चिकित्सा की जड़ें
इस चिकित्सा की शुरुआत अठारह सिद्धों, खासकर अगस्त्यर ने की. मान्यता है कि भगवान शिव ने यह ज्ञान पार्वती, नंदीदेवर और फिर सिद्धों तक पहुंचाया. पहले मौखिक रूप में और बाद में ताड़ के पत्तों पर लिखकर यह ज्ञान सुरक्षित हुआ. यह पद्धति तमिलनाडु, केरल और श्रीलंका में खूब प्रचलित है.
त्रिदोष और पाचन तंत्र पर प्रभाव
सिद्ध चिकित्सा त्रिदोष के असंतुलन को ठीक करती है, जो सभी बीमारियों का कारण माना जाता है. यह अपच, सूजन, अल्सर और भूख न लगने जैसी समस्याओं को दूर करती है. कायकार्पम (जड़ी-बूटियों और जीवनशैली का मिश्रण) और मुप्पु (विशेष नमक) शरीर को डिटॉक्स करते हैं और अंगों को नई ऊर्जा देते हैं. कोविड-19 जैसे रोगों के लक्षणों में भी यह मददगार रही है.
उपचार का अनोखा तरीका
यह पद्धति हर व्यक्ति की उम्र, आदतें और शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखकर उपचार देती है. इसमें हर्बल दवाएं, योग, प्राणायाम, ध्यान और खास आहार शामिल हैं. पंचकर्मा जैसी प्रक्रियाएं शरीर को साफ करती हैं. कायकार्पम में जड़ी-बूटियां और खनिज स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं.
जानें क्यों चुनें सिद्ध चिकित्सा
यह प्रणाली सरल, प्राकृतिक और प्रभावी है. यह न केवल रोगों से बचाती है, बल्कि शरीर और मन को तरोताजा रखती है. सिद्ध चिकित्सा अपनाकर आप भी स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं.
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