
Rajasthan News: पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक की हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई ने जोधपुर सेंट्रल जेल प्रशासन को कटघरे में ला खड़ा किया है. वांगचुक और उनकी पत्नी गीतांजली ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. गीतांजली ने कोर्ट में बताया कि जब वह 7 और 11 अक्टूबर को जेल में अपने पति से मिलने गईं, तो उनकी बातचीत पर नजर रखी गई. एक डीसीपी और महिला कांस्टेबल उनके पास बैठे रहे और उनके निजी कानूनी दस्तावेजों की तस्वीरें तक ली गईं. गीतांजली ने इसे उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया.
पर्दे वाली गाड़ियों में ले जाया गया
गीतांजली ने यह भी दावा किया कि उन्हें जोधपुर में आजादी से घूमने नहीं दिया गया. आईबी और राजस्थान पुलिस ने उन्हें पर्दे वाली खिड़कियों वाली गाड़ियों में जेल तक ले जाया. उन्होंने कहा कि यह उनके संवैधानिक अधिकारों (अनुच्छेद 19 और 21) का हनन है. वांगचुक ने भी 13 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र देकर जेल की सुविधाओं और व्यवहार पर सवाल उठाए.
जेल अधीक्षक का जवाब
जेल अधीक्षक प्रदीप लखावत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. उन्होंने कहा कि वांगचुक को 20×20 फीट की सामान्य बैरक में रखा गया है, जो एकांत कारावास नहीं है. वांगचुक इस बैरक में अकेले हैं, लेकिन उन्हें सभी सामान्य कैदियों जैसे अधिकार दिए गए हैं. लखावत ने बताया कि वांगचुक ने 10 अक्टूबर को लैपटॉप मांगा था, जिसे जेल नियमों में न होने के बावजूद 12 अक्टूबर को उपलब्ध कराया गया. साथ ही, जरूरी दस्तावेजों की फोटोकॉपी भी दी गई.
दोनों पक्षों में आरोप-प्रत्यारोप
जेल प्रशासन का दावा है कि सभी नियमों का पालन किया गया और वांगचुक को कानूनी सलाह दी जा रही है. लेकिन वांगचुक और उनकी पत्नी के गंभीर आरोपों ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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