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अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बोले कांग्रेस नेता, गहलोत और जूली ने कहा- यह संघर्ष की जीत है 

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इसे जनता की बड़ी जीत बताते हुए कहा, ‘‘यह पिछले एक महीने से अरावली संरक्षण की लड़ाई लड़ रहे सभी लोगों की जीत है.''

अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बोले कांग्रेस नेता, गहलोत और जूली ने कहा- यह संघर्ष की जीत है 
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली

कांग्रेस की राजस्थान इकाई के नेताओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अरावली पर्वतमाला की नयी परिभाषा से जुड़े मामले में उच्चतम न्यायालय के 20 नवंबर के आदेश पर सोमवार को रोक लगाए जाने का स्वागत किया और इसे पिछले एक महीने से पहाड़ियों के संरक्षण की लड़ाई लड़ रहे सभी लोगों की जीत बताया. उच्चतम न्यायालय ने अपने 20 नवंबर के फैसले में दिए गए उन निर्देशों को सोमवार को स्थगित रखने का आदेश दिया जिनमें अरावली पहाड़ियों और पर्वतमाला की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया गया था. उसने इस मुद्दे की व्यापक और समग्र समीक्षा के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा.

अशोक गहलोत ने क्या कहा ? 

न्यायालय के ताजा निर्देश के बाद राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे क्षेत्र की पर्यावरणीय अखंडता के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है. मौजूदा पर्यावरणीय चुनौतियों को देखते हुए अरावली क्षेत्र के भविष्य की योजना अगली एक शताब्दी को ध्यान में रखकर दीर्घकालिक दृष्टि से बनाना आवश्यक है.''

गहलोत ने पर्यावरण मंत्री से अरावली क्षेत्र में खनन बढ़ाने की योजनाओं के बजाय पर्यावरणीय चिंताओं को प्राथमिकता देने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘‘सरिस्का सहित अरावली क्षेत्र में खनन बढ़ाने की सोच भविष्य के लिए खतरनाक है.''

संरक्षण की लड़ाई लड़ रहे सभी लोगों की जीत-जूली 

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इसे जनता की बड़ी जीत बताते हुए कहा, ‘‘यह पिछले एक महीने से अरावली संरक्षण की लड़ाई लड़ रहे सभी लोगों की जीत है.'' उन्होंने उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय अरावली के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करने वाला ऐतिहासिक फैसला जल्द ही देगा. अरावली संरक्षण अभियान का नेतृत्व कर रहे कार्यकर्ताओं के समूह ‘अरावली विरासत जन अभियान' ने भी न्यायालय के निर्णय पर संतोष जताते हुए कहा, ‘‘हम इस प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.''

पहले कोर्ट ने स्वीकार की थी मंत्रालय की रिपोर्ट 

इससे पहले, न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान परिभाषा को 20 नवंबर को स्वीकार कर लिया था तथा विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान एवं गुजरात में फैले इसके क्षेत्रों में नए खनन पट्टे देने पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की सुरक्षा के लिए अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की परिभाषा पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था.

कांग्रेस ने परिभाषा पर जताया था एतराज़ 

समिति ने अनुशंसा की थी कि ‘‘अरावली पहाड़ी'' की परिभाषा अरावली जिलों में स्थित ऐसी किसी भी भू-आकृति के रूप में की जाए, जिसकी ऊंचाई स्थानीय भू-स्तर से 100 मीटर या उससे अधिक हो और ‘‘अरावली पर्वतमाला'' एक-दूसरे से 500 मीटर के भीतर दो या अधिक ऐसी पहाड़ियों का संग्रह होगा. कांग्रेस और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस पुनर्परिभाषा का कड़ा विरोध करते हुए आशंका जताई थी कि इससे पहाड़ियों को खनन, रियल एस्टेट और अन्य परियोजनाओं के लिए खोलकर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सकता है.

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