बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की कुल 9 सीटों में से एक बागीडोरा विधानसभा सीट पर मोदी लहर के बावजूद भाजपी जीत को स्वाद नहीं चख पाई, लेकिन इस बार बागीडोरा सीट पर कमल खिलाने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. बागीदौरा विधानसभा सीट पर भाजपा की लगातार हार के कई कारण हो सकते हैं. इनमें पहली वजह इसका आदिवासी बाहुल्य सीट होना है, जहां कांग्रेस का काफी प्रभाव है. दूसरी, इस सीट पर जनता दल का भी खासा प्रभाव है, जो भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है. वहीं तीसरी वजह, भाजपा ने इस सीट पर कभी भी मजबूत उम्मीदवार नहीं उतारा है.
भाजपा जीत के लिए झोक रही है पूरी ताकत
अब आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. पार्टी ने इस सीट पर एक युवा और प्रभावशाली नेता को उम्मीदवार बनाया है. साथ ही, भाजपा अपने चुनाव अभियान पर भी खास ध्यान दे रही है. अगर भाजपा अपनी रणनीति में सफल होती है, तो वह इस सीट पर जीत हासिल कर सकती है.
गठबंधन में प्रत्याशी जनता दल का प्रभाव
भारतीय जनता पार्टी और जनता दल जब केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में साथ रहे, तो इसका असर बांसवाड़ा में भी पड़ा था. जिले की दानपुर, कुशलगढ़ और बागीदौरा सीट पर गठबंधन के अनुरूप चुनाव लड़ा गया तो प्रत्याशी जनता दल एकीकृत का ही रहा. दोनों दलों के साथ होने का असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ा और कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी.
भाजपा कर रही पूरी कोशिश
वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में चली मोदी लहर में बांसवाड़ा जिले की चार सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया, लेकिन बागीदौरा सीट पर जीत दूर ही रही. वहीं 2018 में भी यहां भाजपा की झोली में यह सीट नहीं आई. अब 2023 की आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बागीदौरा सीट को कब्जाने की पूरी रणनीति तैयार कर ली है.