Rajasthan News: राजस्थान में पानी की परेशानी वैसे तो लगभग सभी जिलों में हैं. हालांकि, पानी की व्यवस्था को लेकर यहां राजनीति सालों से हो रही है. प्रदेश में जब भी सरकार आती है तो उनका सबसे पहला मुद्दा पानी ही होता है. अपने वादों और भाषणों से इतना पानी बरसाते हैं जिससे वह जनता भाव विभोर हो जाती है. हाल ही में राजस्थान में पानी के मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई. जहां बीजेपी सरकार ने हर घर जल पहुचाने के दावे के साथ अपनी पीठ थपथपा रही है. वहीं, राजस्थान के भरतपुर जिले के एक गांव की हालत इन सभी दावों को खोखली साबित करती है. वहीं, यह केवल बीजेपी सरकार की बात नहीं है. राज्य में आजादी के बाद कितनी सरकारें आई और चली गईं लेकिन इस गांव की हालत पिछेल 100 सालों से ज्यों कि त्यों बनी है. यहां 100 सालों से पानी और सड़क की समस्या बनी हुई है.
राजस्थान के भरतपुर जिले के बयाना उपखंड में एक गांव है जिसका नाम पटपरीपुरा है. यहां 100 सालों से पानी और सड़क की समस्या कभी खत्म नहीं हुई है. गांव में एक कुआं है जिसमें गंदा पानी आता है. उसे ही ग्रामीण अपनी प्यास और घरेलू उपयोग का काम में ले रहे हैं. वहीं, कुछ लोग तो यहां से 3 किलोमीटर दूर राजस्थान-उत्तरप्रेदश सीमा पर एक गांव सिंगरावली है जहां से उन्हें पानी मिलता है. आपको बता दें भरतपुर जिला सीएम भजन लाल शर्मा का पैतृक गांव है. लेकिन शायद इस परेशानी के बारे में सीएम साहब के अधिकारियों ने भी जानकारी नहीं दी है.
शासन और प्रशासन से भी लगा चुके हैं गुहार
प्रदेश में नई सरकारें आती है. वहीं क्षेत्र में भी शासन और प्रशासन में बदलाव होता है, गांव के लोग हर ने शासन-प्रशासन ने अपनी समस्य़ाओं की गुहार लगाते हैं. उन्हें आशा होती है कि कम से कम नई सरकार और बदलकर आए प्रशासन उनकी बात सुनेंगे. लेकिन आज तक इसकी सुनवाई ही नहीं हुई है. पटपरीपुरा के रहने वाले ग्रामीण सुरेंद्र सिंह ने बताया कि करीब 100 साल से अधिक गांव को बसे हो गए.उस समय से ही गांव में पानी और सड़क की समस्या मुख्य है. गांव के लोग पानी लाने के लिए उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गांव सिंगरावली जाना पड़ता है. लेकिन यहां से पानी लाने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
लोग कर रहे हैं पलायन नहीं होती है शादी
अब तो पानी और सड़क की समस्या से इस गांव के लोगों की शादी तक नहीं होती है. लोग भी अब यहां की मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं मिलने से हार चुके हैं और पलायन को मजबूर हो गए हैं. यहां काफी सारे परिवार अपना घर छोड़ जा चुके हैं. वहीं, एक महिला ग्रामीण सुनीता ने कहा कि
चुनाव में होता है छल अब करेंगे बहिष्कार
वैसे तो आजादी के बाद से यहां कई बार चुनाव हो चुके हैं. लेकिन हर बार उन्हें केवल छला जाता है. विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव नेता और प्रतिनिधि आकर बड़ा आश्वासन देते हैं. इसमें स्थानीय नेताओं का भी साथ होता है. चुनाव के दौरान पानी के टैंकर भिजवा कर लोगों में उम्मीद जगाते हैं कि उनकी सरकार आएगी तो वह गांव के लिए पानी की पूरी व्यवस्था कर देंगे. लेकिन चुनाव खत्म होते ही पानी के टैंकर भी खत्म हो जाते हैं. अब लोगों के सब्र का बांध टूट चुका है और इस बार लोकसभा चुनाव में उन्होंने मतदान के बहिष्कार का फैसला किया है.
बताया जाता है कि गांव में करीब 15 साल पहले पानी की व्यवस्था के लिए पानी की टंकी विधायक अतर सिंह भड़ाना ने बनवाई थी. लेकिन यह 10 साल से सूखी पड़ी है. यहां अगर बोरिंग भी की जाए तो पानी 400 फीट से अधिक नीचे मिलता है, और वह पानी भी लवण युक्त खारा पानी होता है. इस वजह से लोग अब पलायन करना बेहतर समझ रहे हैं. क्योंकि गांव की समस्या को देखने वाला कोई नहीं है.
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