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राजस्थान की तीन बेटियां बनेंगी संन्यासिन, 16 जनवरी को दीक्षा लेकर छोड़ेंगी पिता का घर

दीक्षा लेने तीन बेटियों में दो बेटियां जोधपुर की है, जबिक तीसरी बेटी गंगापुर से है. तीनों ही बेटियों के पिता व्यापारी है. तीनों बेटियां 16 जनवरी से आयोजित कार्यक्रम में दीक्षा लेकर एक भिक्षु की तरह घर से विदा होंगी.

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राजस्थान की तीन बेटियां बनेंगी संन्यासिन, 16 जनवरी को दीक्षा लेकर छोड़ेंगी पिता का घर
सांसरिक सुखों को त्यान जैन मृमुक्षु बनेंगी राजस्थान की तीन बेटियां

धार्मिक नागरिक कहे जाने वाले जोधपुर में भक्ति की शक्ति का एक अनूठा उदाहरण देखने को मिला, जहां जोधपुर में कम उम्र में ही तीन बेटियों ने सांसारिक सुख को त्याग कर संन्यास का फैसला लेकर दीक्षा ग्रहण करने जा रही है. जोधपुर में 16 जनवरी से आयोजित होने वाले दीक्षा लेकर एक भिक्षु (मुमुक्षु) की तरह घर से विदा लेंगी.

दीक्षा लेने तीन बेटियों में दो बेटियां जोधपुर की है, जबिक तीसरी बेटी गंगापुर से है. तीनों ही बेटियों के पिता व्यापारी है. तीनों बेटियां 16 जनवरी से आयोजित कार्यक्रम में दीक्षा लेकर एक भिक्षु की तरह घर से विदा होंगी.
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रिपोर्ट के मुताबिक जोधपुर में आयोजित होने वाले दीक्षा समारोह को लेकर लोगों में बहुत उत्सुकता है. जैन हितेषी श्रावक संघ के द्वारा बीजेएस कॉलोनी स्थित हनुमंत गार्डन में आयोजित दीक्षा कार्यक्रम में जोधपुर की बेटी खुशी व ऋद्धि बाफना और गंगापुर की बेटी नेहा जैन पूरे विधि विधान के साथ दीक्षा लेंगी.

दीक्षा लेने वाली सबसे कम उम्र की खुशी के पिता जोधपुर की भीतरी शहर में राजपूती पोशाक और शेरवानी के व्यापारी हैं. खुशी महज 19 वर्षीय खुशी ने सांसारिक सुखों और मोह को त्याग भक्ति के पथ पर बढ़ते हुए हुए दीक्षा लेंगी. 12वीं कॉमर्स में 94 प्रतिशत के साथ टॉपर भी रही खुशी परिवार में उनके दो भाई और एक बहन में सबसे छोटी है. 

जोधपुर की बेटी 18 वर्षीय ऋिद्धि बाफना जोधपुर की भोपालगढ़ की मूल निवासी हैं. ऋद्धि को संतों के विचारों को सुनकर ऋिद्धि को त्याग पथ पर जाने का भाव आया.

ऋिद्धि ने जब पहली बार अपने विचार परिवार के साथ साझा किया तो परिवार वालों ने उम्र का हवाला देकर उसे दीक्षा लेने से रोकने की कोशिश की, लेकिन ऋद्धि ने कठिन रास्तों की परवाह किए बिना संयम पथ पर आगे बढ़ने का निश्चिय किया.
वहीं, गंगापुर की रहने वाली 27 वर्षीय नेहा जैन का कहना है कि जन्म और मरण के जंजाल से मुक्ति संभव है. नेहा जैन के पिता व्यापारी है और उनकी माता गृहणी है.

गंगापुर की नेहा जैन की इच्छा धर्म को जानने की भी थी और प्रतिदिन यही विचार आता था और उन्होंने भिक्षु बनने का फैसला किया. एक भाई और दो बहनों में  सबसे बड़ी नेहा जैन हिंदी लिटरेचर में स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी कर चुकी है.


गौरतलब है जोधपुर में चार दिनों तक चलने वाले दीक्षा कार्यक्रम का आगाज 13 जनवरी से हुआ, जहां 16 जनवरी को मुख्य कार्यक्रम आयोजित होगा, इसमें 15 जनवरी को वरघोड़ा कार्यक्रम होगा, जबकि 16 जनवरी को  आचार्य प्रवर हीरानंद जी महाराज, भावी आचार्य प्रवर महेंद्र मुनि महाराज के मुखारविंद से कहीं जैन संत भी जैन भागवती दीक्षा अंगीकार करेंगे.

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