
Tonk Bisalpur Dam Opened: बीसलपुर बांध के गेट आज शाम खोल दिए गए. बीसलपुर बांध के 21 साल के इतिहास में आठवीं बार बांध के गेट को खोला गया. लेकिन इस बार इतिहास बना क्योंकि पहली बार जुलाई महीने में ही बांध का गेट खोलना पड़ा. इस वर्ष जुलाई में ही बीसलपुर बांध का जलस्तर इतना बढ़ गया कि गेट खोलकर पानी की निकासी शुरू करनी पड़ी. बांध का जलस्तर 315.48 मीटर को पार कर गया, जिसके बाद गेट खोला गया. बांध से बनास नदी में पानी की निकासी होने लगी है. मौसम विभाग का अनुमान सही साबित हुआ था जिसने इस बार राजस्थान में अच्छी बारिश की बात कही थी जिसके बाद माना जा रहा था कि बांध जुलाई में ही भर जाएगा.
बांध का गेट पूरे उत्साह के बीच ढोल-नगाड़े के साथ खोला गया. इस मौके पर देवली उनियारा के विधायक राजेंद्र गुर्जर, टोंक की कलक्टर कल्पना अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा मौजूद रहे. इस खास अवसर पर जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत को भी आना था लेकिन उनका दौरा टल गया.
मंत्री सुरेश रावत ने गेट खुलने पर सोशल मीडिया पर संदेश में लिखा है- "लबालब हुआ उम्मीदों का समंदर बीसलपुर बांध, जल निकासी के लिए खोला गया गेट"
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— Suresh Singh Rawat (@SureshRawatIN) July 24, 2025
लगातार दूसरे साल खुला गेट
पिछले साल 2024 में भी बांध के गेट खोले गए थे, और अब 2025 में लगातार दूसरे साल यह स्थिति बनी है. भारी बारिश के कारण बांध में पानी की मात्रा बढ़ने से ओवरफ्लो की स्थिति बन गई, जिसके चलते गेट खोलना जरूरी हो गया. बीसलपुर बांध टोंक, जयपुर और अजमेर जैसे क्षेत्रों के लिए पानी का महत्वपूर्ण स्रोत है.
हमेशा अगस्त में खुलते थे बांध के गेट
बांध प्रशासन ने बताया था कि बीसलपुर बांध अब तक सात बार ओवरफ्लो हो चुका है, लेकिन यह सभी घटनाएं अगस्त और सितंबर के महीनों में हुई हैं. साल 2004 से लेकर 2024 तक बांध के गेट अगस्त-सितंबर में ही खोले गए हैं.
इन वर्षों में यह क्रमशः 16 अगस्त 2004, 19 अगस्त 2006, 13 अगस्त 2014, 9 अगस्त 2016, 19 अगस्त 2019, 26 अगस्त 2022 और 6 सितंबर 2024 को हुआ. ऐसे में 2025 में पहली बार जुलाई में गेट खुलना ऐतिहासिक रहा.
2003 में किया गया था बांध का निर्माण
बांध का निर्माण वर्ष 2003 में पूरा हुआ था और 2004 में पहली बार यह पूरी तरह से भरा था. तब से लेकर अब तक बीसलपुर बांध से टोंक जिले के किसानों के लिए 15 बार दाईं और बाईं नहरों में पानी छोड़ा गया है. इससे टोंक जिले की लगभग 80 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती रही है, जिसके चलते यह जिला राजस्थान में सरसों उत्पादन में दूसरे स्थान पर आता है. बांध से पेयजल के लिए भी तीनों जिलों की बड़ी आबादी निर्भर करती है.
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