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NEFT और RTGS से भेजते हैं रुपये, तो नए साल में बदल जाएगा इसका तरीका, RBI ने दे दी है डेडलाइन

RTGS और NEFT जैसे बैंकिंग सेवा को और भी ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए RBI ने सभी बैंकों को निर्देश दिये हैं. जिसे 1 अप्रैल 2025 से लागू करने की डेडलाइन दी गई है.

NEFT और RTGS से भेजते हैं रुपये, तो नए साल में बदल जाएगा इसका तरीका, RBI ने दे दी है डेडलाइन

New Banking System:  भारत में पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल लेन-देन का चलन बहुत तेज़ी से बढ़ा है. पेटीएम, गूगल जैसे डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म और UPI जैसे पेमेंट सिस्टम ने खरीदारी, कारोबार और बैंकिंग का तरीका बदल दिया है. वर्तमान समय में UPI के जरिए लेनदेन काफी बढ़ा है. यह सुरक्षित है क्योंकि इसमें वेरिफिकेशन किया जा सकता है. लेकिन बड़े लेन देन के लिए ज्यादातर लोग RTGS और NEFT जैसी बैंकिंग सेवा का इस्तेमाल करते हैं. इसे बैंक ट्रांसफर या ऑनलाइन ट्रांसफर कहते हैं जिसमें ग्राह अपने बैंक खाते से ऑनलाइन पैसे भेज सकते हैं. मगर डिजिटल लेन-देन का चलन बढ़ने के साथ-साथ साइबर क्राइम को लेकर भी चिंता बढ़ी है. इसी को ध्यान में रखते हए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैकिंग सिस्टम को और भी ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए दूसरे सभी बैंकों को निर्देश जारी किए हैं. जिससे कि यह और भी ज्यादा सुरक्षित लेन देन हो. इसके साथ ही आरबीआई ने बैकों को इसे लागू करने के लिए 1 अप्रैल 2025 तक की डेडलाइन भी दी है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सोमवार (30 दिसंबर) को देश में काम करने वाले सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वह RTGS या NEFT प्रणाली का उपयोग करके लेनदेन शुरू करने से पहले पैसा भेजने वालों को लाभार्थी के बैंक खाते का नाम वैरिफाई करने की सुविधा प्रदान करें. केंद्रीय बैंक के इस कदम से आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए लेनदेन करना और सुरक्षित हो जाएगा. इस सुविधा को लागू करने के लिए आरबीआई ने सभी बैंकों को एक अप्रैल, 2025 तक की डेडलाइन दी है.

धोखाधड़ी की संभावना होगी कम

आरबीआई ने जो सर्कुलर जारी किया है उसमें कहा गया है कि "सभी बैंक जो आरटीजीएस और एनईएफटी के प्रत्यक्ष सदस्य या उप-सदस्य हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे 1 अप्रैल, 2025 से पहले यह सुविधा प्रदान करें." इस सुविधा की शुरुआत के साथ, राशि भेजने वाले लाभार्थी का खाता नंबर और ब्रांच IFSC कोड इनपुट कर सकते हैं, जिसके बाद लाभार्थी का नाम प्रदर्शित होगा. यह सुविधा ग्राहकों में विश्वास बढ़ाएगी क्योंकि इससे गलत क्रेडिट और धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाएगी.

रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम के लिए लाभार्थी बैंक खाता नामक लुक-अप सुविधा की शुरूआत का प्रस्ताव आरबीआई द्वारा 9 अक्टूबर, 2024 को जारी किए गए डेवलपमेंटल और रेगुलेटरी पॉलिसीज में दिया गया था.

क्या है RTGS और NEFT

आरटीजीएस एक रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम है. इसमें रियल टाइम में आसानी से बिना किसी देरी के पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है. यह सुविधा 24/7 उपलब्ध है. इसमें लेनदेन की न्यूनतम सीमा 2 लाख रुपये है. वहीं एनईएफटी एक भी एक पेमेंट सिस्टम है. आरटीजीएस की तुलना में इससे लेनदेन करने पर पैसा लाभार्थी तक पहुंचने में कुछ समय लगता है. यह कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक हो सकता है. इसमें लेनदेन की कोई न्यूनतम सीमा नहीं है.

मौजूदा समय में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और इमीडिएट पेमेंट्स सर्विसेज (IMPS) सिस्टम में पैसा भेजने वाला व्यक्ति लाभार्थी का नाम वेरिफाई कर सकता है. आरबीआई ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) सिस्टम के लिए यूपीआई और आईएमपीएस जैसी भुगतान प्रणालियों की तरह ही लाभार्थी का नाम वेरिफाई करने की सुविधा की मांग की जा रही थी.

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