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Dungarpur News: आदिवासी बहुल डूंगरपुर फिर बना राजस्थान का सबसे साफ़ शहर, राष्ट्रपति से मिला अवार्ड 

डूंगरपुर की सफलता के पीछे नगर परिषद की मजबूत टीम और समर्पित सफाईकर्मियों की अहम भूमिका रही है. रात 8 बजे से लेकर तड़के 3 बजे तक, करीब 40 सफाईकर्मी हर रात शहर को चमकाने में जुटे रहते हैं.

Dungarpur News: आदिवासी बहुल डूंगरपुर फिर बना राजस्थान का सबसे साफ़ शहर, राष्ट्रपति से मिला अवार्ड 
डूंगरपुर राजस्थान का सबसे साफ़ शहर है.

Dungarpur News: राजस्थान का आदिवासी बहुल जिला डूंगरपुर एक बार फिर स्वच्छता के क्षेत्र में प्रदेश में अव्वल रहा है. भारत सरकार के आवासन एवं शहरी मंत्रालय द्वारा कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में डूंगरपुर को 50 हजार की जनसंख्या श्रेणी में ‘सुपर स्वच्छ लिग सिटी' पुरस्कार के लिए चुना गया है. यह सम्मान देशभर के 15 शहरों को मिल रहा है, जिसमें डूंगरपुर राजस्थान का एकमात्र शहर है. इस उपलब्धि का श्रेय नगर परिषद कर्मचारियों और डूंगरपुर की जागरूक जनता को जाता है. बुधवार को को दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अवार्ड दिया है. कैबिनेट मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने अवार्ड ग्रहण किया है. 

2018 में शुरू हुई स्वच्छता की यात्रा 

डूंगरपुर की यह यात्रा 2018 में शुरू हुई जब उसने पहली बार स्वच्छता सर्वेक्षण में भाग लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में जब यह सर्वेक्षण योजना शुरू की, तो तत्कालीन नगर परिषद सभापति के.के. गुप्ता के नेतृत्व में डूंगरपुर को स्वच्छ बनाने की मुहिम छेड़ी गई. शुरुआत में चुनौतियां आईं लेकिन नगर परिषद, सफाईकर्मी और शहरवासी पीछे नहीं हटे. 2019 और 2020 में डूंगरपुर राजस्थान में प्रथम रहा, और फिर 2021 में राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडियाज क्लीनेस्ट सिटी अवार्ड' और ‘3 स्टार सिटी' अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया.

सफाईकर्मियों की भूमिका रही अहम 

डूंगरपुर की सफलता के पीछे नगर परिषद की मजबूत टीम और समर्पित सफाईकर्मियों की अहम भूमिका रही है. रात 8 बजे से लेकर तड़के 3 बजे तक, करीब 40 सफाईकर्मी हर रात शहर को चमकाने में जुटते हैं, चाहे सर्दी हो या बारिश. सहायक अभियंता लोकेश पाटीदार के अनुसार, हर रोज़ अधिकारियों द्वारा रूट तय किए जाते हैं और उन पर सफाई की जाती है. सफाईकर्मियों का यह समर्पण पिछले आठ वर्षों से एक दिन भी नहीं टूटा है.

स्वच्छता के विविध आयामों पर कार्य

नगर परिषद केवल सफाई तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने स्वच्छता के सभी पहलुओं पर काम किया. इसमें डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, गीले-सूखे कचरे का पृथक्करण, प्लास्टिक का प्रयोग रोकना, और स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन शामिल है. स्कूलों और वार्ड स्तर पर समय-समय पर जागरूकता शिविर लगाए जाते हैं ताकि लोग स्वच्छता को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं. इस समग्र दृष्टिकोण ने डूंगरपुर को बार-बार अव्वल स्थान पर पहुँचाया.

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