Health News: भारत में तुलसी को सिर्फ पूजा की वस्तु ही नहीं, बल्कि सेहत का खजाना भी माना जाता है. आयुर्वेद में इसे मां की तरह देखभाल करने वाली जड़ी-बूटी कहा गया है. तुलसी वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करती है. इसका काढ़ा पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और मौसमी बीमारियों से बचाव होता है.
जानें क्या है तुलसी का काढ़ा
तुलसी का काढ़ा एक आयुर्वेदिक पेय है, जो तुलसी की पत्तियों को अदरक, काली मिर्च, दालचीनी और मुलेठी जैसी औषधियों के साथ मिलाकर बनाया जाता है. यह स्वादिष्ट और गुणकारी पेय शरीर को ताकत देता है. इसे बनाने के लिए एक गिलास पानी में 5-7 तुलसी की पत्तियां, 1 इंच अदरक, 3-4 काली मिर्च और थोड़ी दालचीनी डालकर उबालें. पानी आधा होने पर छान लें और ठंडा होने पर शहद मिलाकर पिएं. दिन में 1-2 बार इसका सेवन फायदेमंद है.
मौसमी बीमारियों का काल
बरसात में गंदगी और कीटाणुओं से होने वाले संक्रमण को तुलसी का काढ़ा रोकता है. इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण डेंगू, मलेरिया और सर्दी-जुकाम से बचाते हैं. सर्दियों में यह कफ, खांसी और गले की खराश को दूर कर शरीर को गर्म रखता है. बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है.
सेहत के लिए वरदान
तुलसी का काढ़ा पाचन को बेहतर बनाता है और गैस, अपच, पेट दर्द में राहत देता है. यह शरीर से विषैले तत्व निकालता है और दिल व फेफड़ों को स्वस्थ रखता है. चरक संहिता में इसे कफनाशक और सुश्रुत संहिता में श्वसन रोगों की औषधि बताया गया है.
आधुनिक विज्ञान भी है कायल
वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि तुलसी के फाइटोकेमिकल्स कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं और कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं. यह एच1एन1, डेंगू और सामान्य सर्दी में भी कारगर है. तुलसी का पौधा दिन-रात ऑक्सीजन देता है, जो इसे और खास बनाता है.
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