सीकर जिले के खाटू श्याम जी का दो दिवसीय भाद्रपद शुक्ल जलझूलनी एकादशी व द्वादशी का मेला आज से शुरू हो गया है. एकादशी व द्वादशी पर प्रदेश के कोने-कोने से बाबा खाटू श्याम जी के दर पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. खाटू नगरी पहुंचे श्रद्धालु बाबा श्याम के दर पर शीश नवाकर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. एकादशी व द्वादशी पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु निशान लेकर पैदल भी बाबा के दर पर पहुंचे हैं.
2 दिवसीय मेला को लेकर प्रशासन अलर्ट
मंदिर कमेटी व पुलिस प्रशासन ने दो दिवसीय मेला को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है. साथ ही, मेले में किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए भी पुलिस प्रशासन तैयार है.
खाटू श्याम जी मंदिर के बारे में
खाटूश्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है. यह मंदिर भगवान कृष्ण के एक रूप, खाटू श्याम जी को समर्पित है. मंदिर में भगवान कृष्ण को एक सशस्त्र योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है, जो एक घोड़े पर सवार हैं. मंदिर एक हिंदू तीर्थस्थल है और इसे दुनिया भर के हिंदू भक्तों द्वारा तीर्थयात्रा के लिए जाना जाता है.
खाटू श्याम जी मेले का महत्व
खाटूश्याम जी मेला भाद्रपद शुक्ल एकादशी और द्वादशी को आयोजित किया जाता है. यह एक हिंदू त्योहार है जो भगवान कृष्ण के अवतार, खाटू श्याम जी की पूजा के लिए समर्पित है. मेले के दौरान, भक्त मंदिर में भगवान कृष्ण के दर्शन करने के लिए आते हैं. वे भगवान कृष्ण को प्रसाद चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं. मेले के दौरान, मंदिर परिसर में कई धार्मिक कार्यक्रम और उत्सव आयोजित किए जाते हैं.
आखिर क्यों है इस दिन का विशेष महत्व?
कहा जाता है खाटू श्याम जी अर्थात मां सैव्यम पराजित अर्थात जो हारे हुए, निराश लोग हैं उनको बाबा श्याम संबल प्रदान करते हैं. इसीलिए बाबा श्याम को हारे का सहारा भी कहा जाता है. एकादशी व् द्वादशी का भी अपना अलग महत्व है. कहा जाता है कि जब बर्बरीक से श्री कृष्ण ने शीश मांगा तो बर्बरीक ने एकादशी को रातभर भजन किया और द्वादशी को स्नान करके पूजा की ओर अपने हाथ से अपना शीश काटकर श्री कृष्ण को दान कर दिया. तभी से बाबा श्याम के लक्खी मेले व हर महीने एकादशी और द्वादशी का विशेष महत्व है.
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