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उदयपुर के आदमखोर के अंत की कहानी, 29 दिन सर्च, एक रात में 2 बार मुठभेड़, 16 राउंड फायर, ऐसे हुआ तेंदुए का खात्मा

उदयपुर जिले के गोगुंदा, सायरा और बड़गांव तहसील में आतंक मचाने वाले आदमखोर तेंदुआ का अंत 29 दिनों के सर्च ऑपरेशन के बाद पुलिस ने मुठभेड़ में किया, इस तेंदुआ ने 8 लोगों की जान ली थी. 

उदयपुर के आदमखोर के अंत की कहानी, 29 दिन सर्च, एक रात में 2 बार मुठभेड़, 16 राउंड फायर, ऐसे हुआ तेंदुए का खात्मा
तेंदुए के शिकार के दौरान तैनात गनर

Udaipur leopard Death: उदयपुर में इन दिनों लोग तेंदुए के खौफ में जी रहे थे. जिले के गोगुंदा, सायरा और फिर शहर के नजदीक बड़गांव तहसील तक आदमखोर तेंदुआ का पिछले 30 दिनों से आतंक था, जो शुक्रवार सुबह खत्म हो गया. तीनों तहसील में तेंदुआ ने 8 जाने ले ली थी. गुरुवार की रात और शुक्रवार सुबह दो बार हुई मुठभेड़ में 16 राउंड शूटर द्वारा फायर किए गए, जिसमें सुबह की फायरिंग में 4 गोली लगने से आदमखोर की मौत हुई. खास बात यह कि शूट आउट वन विभाग के एक्सपर्ट शूटर ने नहीं, बल्कि अपराधियों को दबोचने वाली पुलिस के शूटर ने किए.

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जंगल में लगातार चल रहा था सर्च ऑपरेशन

तेंदुआ के खात्मे की कहानी से पहले जानते हैं कि वन विभाग के साथ किस प्रकार पुलिस जुटी थी. वह भी गोगुंदा पुलिस जिनके क्षेत्र में ही आदमखोर का आतंक था. शैतान सिंह नाथावत ने बताया कि '18 सितंबर की रात को सूचना आई थी कि नाबालिग को तेंदुआ उठा ले गया. रातभर सर्च के बाद सुबह बच्ची का शव मिला. इसके बाद से तेंदुआ को पकड़ने में डट गए.

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जैसे जैसे मौतों की संख्या बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे चुनौतियां भी बढ़ी. आक्रोशित ग्रामीणों को शांत करवाना और तेंदुआ को पकड़ना. हर दिन औसत 10 किलोमीटर का जंगल में सर्च होता था. लेकिन तेंदुआ कहीं दिखता नहीं था. ऐसा लग रहा था कि तेंदुआ पहले पिंजरे में जा चुका, इसलिए नहीं आ रहा है.

वह काफी शातिर हो गया, क्योंकि जहां प्वाइंट चिन्हित करते वहां आ ही नहीं रहा था. फिर जब शहर के पास उसका आतंक बढ़ा तो हमारी एक्टिविटी और तेज हुई.'

तेंदुआ के खात्मे की रात सबसे चुनौतीपूर्ण

इंस्पेक्टर शैतान सिंह ने बताया कि शहर के नजदीक तेंदुआ का आतंक होने पर ज्यादा चिंताएं बढ़ी. इसके बाद ज्यादा टीमें बनी और एक्टिविटी बढ़ाई. तेंदुआ को पकड़ने के साथ ठंड भी चुनौती बढ़ा रही थी. रात को तीन कांस्टेबल एक ही प्वाइंट पर अलग-अलग पोजिशन पर तैनात थे. उनकी हलचल दिखी और उसकी आंखें चमकी.

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तीनों कांस्टेबल ने 8 राउंड फायर किए. अब चिंता यह थी कि गोली उसे लगी या नहीं. कांस्टेबल अजयराज ने बताया कि रात को फायरिंग के बाद सर्च किया, लेकिन वह कहीं नहीं दिखाई दिया. सोच रहे थे कि वह घायल हुआ या नहीं. इसके बाद हमने सुबह का इंतजार किया.

'सुबह तेंदुआ गुर्राया और हमारी तरफ लपका'

शैतान सिंह नाथावत ने बताया कि रात को कांस्टेबल ने फायरिंग की उसके बाद उनके प्वाइंट के पास आ गया. यहां सर्च भी चल रहा था और पोजिशन लिए हुए थे. झाड़ियों में से अचानक तेंदुआ गुर्राते हुए कांस्टेबल की तरफ लपका, ऐसे में 4 एसएलआर गन से लगातार 8 फायर किए.

उसे गोली लगी और लड़खड़ाते हुए वहीं गिर गया. 15 मिनट हमने इंतजार किया. कोई हलचल नहीं हुई तो हमने पास जाकर देखा तो वह मर चुका था. इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी.

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