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This Article is From Sep 24, 2023

लंपी वायरस के बढ़े खतरों के बीच छठे दिन भी जारी रहा पशु चिकित्सकों का अनिश्चितकालीन हड़ताल

डॉक्टर्स का कहना है कि प्रदेश में सिर्फ 2 हज़ार वेटरनरी डॉक्टर्स ही मौजूद है. जो कि इतने बड़े स्तर पर बीमा का काम नहीं कर सकते.उनसे कामधेनु योजना का काम करवाया जाएगा तो उन्हें सरकार अतिरिक्त दैनिक भत्ता दे.

लंपी वायरस के बढ़े खतरों के बीच छठे दिन भी जारी रहा पशु चिकित्सकों का अनिश्चितकालीन हड़ताल
धौलपुर में हड़ताल के दौरान पशुचिकित्सक
DHOLPUR:

पशु चिकित्सकों के राज्यव्यापी सामूहिक अनिश्चितकालीन हड़ताल के छठवें दिन धौलपुर जिले के पशुपालन विभाग के सभी चिकित्सक पशुपालन विभाग परिसर में एकत्रित हुए, जहां पर उन्होंने सरकार से नॉन प्रैक्टिस अलाउंस की मांग पर जल्द से निर्णय लेने की अपील की है.

गौरतलब है प्रदेश के सभी पशु चिकित्सकों ने 6 सितंबर 2023 से गोपालन विभाग के सभी कार्यों, कामधेनु पशु बीमा योजना और उपचार से जुड़े सभी चिकित्सा सेवाओं का बहिष्कार कर रखा है. पशु चिकित्सा अधिकारी सुशांत शर्मा ने बताया कि लगातार 18 सितंबर से अपनी जायज मांग के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है.

हर समय सरकार वादाखिलाफी करती आ रही है. क्योंकि दिसंबर 2022 में भी अपनी मांगों के लिए जयपुर शहीद स्मारक पर आमरण अनशन किया था, लेकिन आश्वासन देकर सरकार ने हमें  धोखा किया है, जब तक सरकार मांगों को नहीं मानेगी ये हड़ताल तब तक जारी रहेगी.

बिना इलाज के लौटे रहे पशुपालक

पशुचिकित्सकों के कार्य बहिष्कार के चलते के इलाज के लिए गाय, भैंस,बकरियां लेकर पशु चिकित्सालय आ रहे पशुपालकों को बिना इलाज के लौटना पड़ रहा है, लेकिन सरकार पशु चिकित्सकों की मात्र एक प्रमुख मांग पर अभी तक सुनवाई नहीं कर रही है . पिछले साल लंपी वायरस से जिले में कई गोवंशों की मौत हो गयी थी. अगर समय रहते सरकार ने कोई क़दम नहीं उठाया तो यह बीमारी विकराल रूप धारण कर सकती है.  

विकराल रूप धारण कर सकती है लंपी वायरस

राजस्थान के गोवंशों में भारी तबाही मचाने वाले लंपी वायरस ने झालावाड़ में एक बार फिर से दस्तक देकर अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं.  झालावाड़ की सबसे बड़ी श्री कृष्ण गौशाला में पिछले 10 दिनों के भीतर डेढ़ दर्जन से अधिक गोवंश इस बीमारी से संक्रमित हो गए हैं.

निजी चिकित्सकों व कंपाउंडरों की मदद से हो रहा उपचार

पशु चिकित्सकों की हड़ताल के चलते गौशाला संचालकों द्वारा अपने स्तर पर निजी चिकित्सकों और कंपाउंडरों की मदद से गोवंशों का उपचार करवाया जा रहा है, लेकिन वायरस पर काबू पाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तीन गोवंशों से शुरू हुई बीमारी देखते ही देखते डेढ़ दर्जन गोवंश में पहुंच गई है. इसको लेकर गौशाला संचालकों ने चिंता व्यक्त करते हुए सरकार और प्रशासन से ध्यान देने और उपचार की व्यवस्था करने की मांग की है.

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