Rajasthan News: राजस्थान के मेवाड़ में अभिनंदन का अंदाज हमेशा अनूठा होता. मेवाड़ में केवल इंसान का ही स्वागत नहीं होता है, यहां नदी और वनस्पति के अभिनंदन की भी परंपरा है. इस परंपरा का बड़ा उदाहरण भीलवाड़ा में देखने को मिला. जहां पानी को तरस रही 4 साल से सूखी पड़ी खारी नदी में पानी आया. इसे देख लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, उत्साहित लोग अपनी परंपरा के अनुसार नदी का सत्कार करने पहुंच गए. नदी का दुल्हन की तरह करीब एक किलोमीटर चुनरी ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया.
प्रसाद वितरण के बीच शुरू हुई बरसात
शाहपुरा क्षेत्र में प्रसिद्ध धनोप माता मंदिर पर बरसात के लिए सभी गांव वालों द्वारा प्राथर्ना की जा रही थी. काफी दिनों से क्षेत्र में बरसात नहीं हो रही थी. पुरे गांव ग्रामीण गांव के चौक पर इखट्टा होने के बाद पदयात्रा करते हुए मंदिर पँहुते . मंदिर में प्रसाद वितरण चल ही रहा था कि बरसात शुरू हो गई. आसपास के 10-12 किलोमीटर क्षेत्र में अच्छी बरसात होने से और नदी में 4 साल बाद पानी आने के कारण लोगों में इतना उत्साह था कि लोग नदी का स्वागत करने पहुंच गए. धनोप गांव की सीमा को पानी ने छुआ तो लोगों पहले दूध-दही के साथ वैदिक मंत्रो से करीब आधे घंटे तक अभिषेक किया
मिल जुलकर रहने की मिसाल हर घर से आई चुनरी
नदी का अभिनंदन करने की अनूठी परंपरा में हर घर की तरफ से योगदान दिया जाता है. धनोप गांव में अनूठी इस परंपरा में हर घर की तरफ से चुनरी लाकर नदी को ओढ़ाई गई. पूरे आयोजन के दौरान कोई बड़ा कोई छोटा और कोई जातिगत भेदभाव नहीं रहता है.
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