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This Article is From Sep 27, 2023

जहां से गुजरे भगवान राम, वहां बनेंगे 290 स्तम्भ, आबू रोड में जारी है निर्माण 

पहला स्तंभ अयोध्या में मणिपर्वत पर लगाया जाएगा. यह स्तम्भ सिरोही जिले के आबूरोड स्थित त्रिवेदी क्रॉप मार्बल इकाई में बनाए जा रहे हैं. इकाई के संचालक किरण त्रिवेदी ने बताया कि पहला स्तम्भ अयोध्या के मणिपर्वत पर लगेगा और दो दिन में यह निर्माण होकर अयोध्या चला जाएगा.

जहां से गुजरे भगवान राम, वहां बनेंगे 290 स्तम्भ, आबू रोड में जारी है निर्माण 
पहला स्तंभ अयोध्या में मणिपर्वत पर लगाया जाएगा
सिरोही:

अशोक सिंगल फाउंडेशन अयोध्या से लेकर जहां-जहां से भगवान श्रीराम गुजरे वहां स्तम्भ लगवाने जा रही है. इन स्तम्भों पर स्थानों के वर्णन भी उकेरे जाएंगे. पहला स्तंभ अयोध्या में मणिपर्वत पर लगाया जाएगा. यह स्तम्भ सिरोही जिले के आबूरोड स्थित त्रिवेदी क्रॉप मार्बल इकाई में बनाए जा रहे हैं. इकाई के संचालक किरण त्रिवेदी ने बताया कि पहला स्तम्भ अयोध्या के मणिपर्वत पर लगेगा और दो दिन में यह निर्माण होकर अयोध्या चला जाएगा.

उन्होंने बताया कि पहले स्तम्भ के बाद भगवान राम जहां-जहां से गुजरे वहां-वहां ऐसे 290 स्थानों पर स्तम्भों को लगाया जाएगा. उन्होंने कहा, यह हमारे लिए गर्व और सौभाग्य की बात हैं कि स्तम्भ को हम लोग बना रहे हैं, इसको हमने पहले चार आकृतियों में बनाया था, जिसमें से एक फ़ाइनल किया गया हैं.

इस पत्थर की विशेषता हैं जिसमे कभी काई नहीं जमती हैं और ना ही यह ख़राब होता हैं

इस पत्थर की विशेषता हैं जिसमे कभी काई नहीं जमती हैं और ना ही यह ख़राब होता हैं

कुल 290 स्थानों पर स्थापित किए जाने वाले स्तम्भों की ऊंचाई 4.5 मीटर हैं. इन स्तम्भों में सूर्य, धनुष, शिखर के साथ स्थानों के विवरण लिखा हुआ होगा. इन स्तंभों को बिल्डर महेश भगचंदानी बनवा रहे हैं.

गौरतलब है काशी विश्वनाथ कोरिडोर का निर्माण भी त्रिवेदी इकाई द्वारा किया गया हैं, जिस पत्थर में कोरिडोर का निर्माण हुआ हैं और उसी पत्थर में स्तम्भों का निर्माण किया जा रहा हैं. इस पत्थर की विशेषता हैं जिसमे कभी काई (झील) नहीं जमती हैं और ना ही यह ख़राब होता हैं.

स्तम्भ में मुख्य रूप से मशीनों के जरिए कार्य हुआ हैं, इसके साथ ही, इसके निर्माण में 15 श्रमिक लगे हैं. अशोक सिंगल फाउंडेशन के सहयोग से बनवाए जा रहे 290 में से पहला स्तम्भ अयोध्या के मणिपर्वत पर लगेगा, जो कि बनकर तैयार हैं और जल्द ही अयोध्या के लिए आबू रोड से रवाना हो जाएगा.

यह पत्थर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर चुनार से लाए गए हैं.

यह पत्थर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर चुनार से लाए गए हैं.

त्रिवेदी कॉर्प के जनरल मैनेजर पवन यादव ने बताया कि जिस पत्थर से वाराणसी में काशी कोरिडोर बना उसी पत्थर से यह स्तम्भ बनवाए जा रहे हैं. यह पत्थर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर चुनार से लाए गए हैं. मुख्यरूप से स्तम्भ बनाने का कार्य मशीनों द्वारा किया जाता हैं. लेकिन स्तम्भों पर अंत में पॉलिश के लिए श्रमिकों को लगाया जाता हैं. 

अशोक सिंगल फाउंडेशन के प्रबंधक  मनोज तिवारी ने बताया कि भगवान श्रीराम ने  5000 किलोमीटर की अखंड भारत यात्रा भारत से प्रारम्भ होकर नेपाल और श्रीलंका तक तय की गई, उसका विराट स्वरूप आज विभिन्न तीर्थ स्थलों के माध्यम से आम जनमानस के समक्ष दृष्टिगोचर है.

स्तम्भ का निर्माण अशोक सिंघल फाउंडेशन और एम2के के महेश भागचंदका द्वारा करवाया जा रहा हैं

स्तम्भ का निर्माण अशोक सिंघल फाउंडेशन और एम2के के महेश भागचंदका द्वारा करवाया जा रहा हैं

भगवान श्रीराम के वन गमन मार्ग के लगभग 290 स्थानों को चिन्हित कर उस स्थान की महत्वता को दर्शाते हुए श्रीराम स्तम्भ का निर्माण अशोक सिंघल फाउंडेशन और एम2के के महेश भागचंदका द्वारा करवाया जा रहा हैं.

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