Dausa Assembly Seat: राजस्थान में 7 सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने वाले हैं. सभी दल पूरे दमखम से प्रचार करने में लगे हैं. यह चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए अहम है. 7 में से 5 सीटों पर कांग्रेस को अपनी सीटें बचानी हैं, वहीं भजनलाल शर्मा के लिए लोकसभा चुनाव के बाद यह दूसरी परीक्षा है.
दौसा में भाजपा ने कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा के भाई को टिकट दिया है. किरोड़ी अपने भाई को जितवाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. वो गांव-गांव जाकर उनका प्रचार कर रहे हैं. इस बीच उनका एक बयान खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वो कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की तारीफ कर रहे हैं.
मेरा भाई सचिन पायलट की तरह सौम्य-सरल - किरोड़ी
उन्होंने पिछले दिनों गुर्जर समुदाय के स्नेह मिलन में कहा गुर्जर समाज से अपील है. मेरे भाई को टिकट मिला है. नानी का दंड नवासा को मत देना. मैं बैंसला की तरह तो मेरा भाई सचिन पायलट की तरह सौम्य-सरल है. मैं गुर्जर समुदाय का राजनैतिक प्रभाव बढ़ाने में साथ दूंगा.
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे हैं. उन्हीं के नेतृत्व में साल 2007 में गुर्जर आरक्षण आंदोलन हुआ था.
गुर्जरों के वोट का अच्छा प्रभाव
दौसा सीट पर गुर्जरों की अच्छी-खासी तादाद है. ऐसे में कहा जा रहा है कि किरोड़ी का यह बयान गुर्जर मतदाताओं को साधने लिए दिया गया है. दौसा सीट पर कांग्रेस का काफी प्रभाव रहा है. जब पूरे प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई तब भी, दौसा में कांग्रेस मजबूत रही है.
रहा है पायलट परिवार का दबदबा
दौसा सीट से कांग्रेस के दिग्गज और सचिन पायलट करे पिता राजेश पायलट सांसद रहे हैं. राजेश पायलट निधन के बाद उनकी पत्नी रमा पायलट भी यहां से सांसद रहीं हैं. ऐसे में इस सीट पर पायलट परिवार का दबदबा मन जाता रहा है. यही वजह है कि किरोड़ी पायलट की तारीफ कर यहां अपने भाई के लिए समर्थन जुटाना चाहते हैं.
दौसा में इस बार मुकाबला दिलचस्प
कांग्रेस ने दौसा से दीनदयाल बैरवा उर्फ डीसी बैरवा को उम्मीदवार बनाया गया है. जातिगत समीकरणों की बात की जाये तो दौसा सीट पर मुकाबला टक्कर का हो सकता है. कांग्रेस इस सीट पर मीणा तो भाजपा ब्राह्मण उम्मीदवार उतारती रही है. लेकिन इस बार भाजपा ने भी मीणा उम्मीदवार उतारा है. ऐसे में भाजपा को सवर्ण मतदाताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. शंकर लाल शर्मा ने साल 2013 में यहां जीत हासिल की थी. दौसा सीट के जातीय समीकरण दिलचस्प हो गए हैं.
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