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Rajasthan: जोधपुर की महिला की कांगो फीवर से मौत, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट; कैसे फैला वायरस 

Rajasthan: महिला को 30 सितंबर को बुखार आया था. महिला को इलाज के लिए अहमदाबाद ले जाया गया. 

Rajasthan: जोधपुर की महिला की कांगो फीवर से मौत, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट; कैसे फैला वायरस 
कांगो फीवर से महिला की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम पशुओं का सैंपल लेने पहुंची.

Rajasthan: जोधपुर की 51 साल की महिला की कांगो फीवर से मौत हो गई. महिला बनाड क्षेत्र के नांदडी गांव की रहने वाली थी. फीवर आने के बाद महिला को जोधपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जब उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो उसे अहमदाबाद इलाज के लिए गए, जहां मंगलवार (8 अक्तूबर) को महिला का इलाज के दौरान मौत हो गई. जोधपुर स्वास्थ्य विभाग को सूचना मिली की कांगो फीवर से महिला की मौत हे गई. 

स्वास्थ्य विभाग पशुओं का ले रहा सैंपल 

स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमएचओ प्रीतम सिंह ने बताया कि अहमदाबाद से महिला की मौत की जानकारी मिली. सूचना के आधार पर सीएमएचओ के निर्देश पर उनकी टीम बनाड के नांदडी क्षेत्र का सर्वे कर रही है. बताया जा रहा है कि मृतक महिला के परिवार गाये पाल रखी थी. संभवत: गायों में लगे टिक्स के कारण से इस तरह की बीमारी होती है. फिलहाल उस एरिया का सर्वे किया जा रहा है. पशुओं के सैंपल लिए जा रहे हैं. इसके बाद पता चलेगा की किस जानवर में टिक्स लगे होने की वजह से यह वायरस फैला है, और महिला की मौत हो गई. 

पीपी किट पहनकर स्वास्थ्य विभाग कर रहा सर्वे 

कांगो फीवर के ट्रैक के बारे में जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पीपी किट पहनकर उस पूरा एरिया का सर्वे कर सैंपल जुटा रही है. क्षेत्र के लोगों में भी महिला की मौत के बाद भय बना हुआ है. स्वास्थ्य विभाग की टीम क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने  का प्रयास भी कर रही है. 

जानवरों में लगे टिक्स से होती है बीमारी 

डिप्टी सीएमएचओ डॉ प्रीतम सिंह का कहना है कि यह बीमारी जानवरों में लगे हुए टिक्स की वजह से आती है. अगर कोई पशु इनफेक्टेड है और उसके टिक्स लगा हुआ है और वह टिक्स अगर इंसान को काट लेता है. तो उसके बाद यह फीवर होता है. इसके बाद मरीज के उपचार में भी सावधानी रखने की आवश्यकता है. इसलिए हाथ में ग्लब्ज और पीपी किट पहन कर मरीज का इलाज किया जाता है.

इनफेक्टेड मरीज के संपर्क में आने होती है बीमारी 

मरीज का कोई भी स्लाइवा, ब्लड, फ्लूइड  का संपर्क अगर किसी दूसरे इंसान के संपर्क में हो जाता है तो यह बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है. यह बुखार वायु के माध्यम से नहीं फैलता है सिर्फ इनफेक्टेड मरीज के इलाज में लापरवाही के कारण फैलने की संभावना रहती है . यही कारण है कि जहां पशुओं के बाड़े हैं वहां पर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से स्प्रे करवा कर इस बीमारी को फैलने से रोकने का प्रयास किया जाता है. 

कांगो फीवर के लक्षण 

पशुओं के साथ रहने वाले लोगों को कांगो फीवर का खतरा ज्यादा रहता है. पशुओं की चमड़ी से चिपके रहने वाला हिमोरल नामक परजीवी इस रोग का वाहक है. कांगो फीवर से संक्रमित होने पर मरीज को बुखार के साथ-साथ शरीर की मांसपेशियों में दर्द चक्कर आना, सिर में दर्द, आंखों में जलन और रोशनी से डर जैसे लक्षण पाए जाते हैं. 

 2014 में आया थ पहला मामला 

जोधपुर में पहला मामला  2014 में सामने आया था. निजी अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ को कांगो हुआ था. उसकी मौत हो गई थी, जिसके बाद 2019 में तीन बच्चों में कांगो फीवर के लक्षण पाए गए थे. एम्स में दो रोगियों की मौत भी हुई थी, अब 5 साल बाद जोधपुर मैं फिर कांगो ने दस्तक दी है. 

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