राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए रणभेरी बज चुकी है और सभी पार्टियां चुनाव प्रचार-प्रसार की तैयारी करने में जुटी हैं. इस बीच, आज हम आपको राजस्थान की पहली महिला विधायक यशोदा देवी के बारे में बताएंगे. यशोदा देवी राजस्थान के जनजाति जिले बांसवाड़ा से 1953 में हुए उपचुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बनीं. यशोदा देवी को राजस्थान की पहली महिला विधायक बनने का गौरव भी हासिल है.
यशोदा देवी के बारे में
यशोदा देवी का जन्म 1927 में मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा में हुआ था. उन्होंने बामनिया में वनस्थली विद्यापीठ और भील आश्रम में शिक्षा प्राप्त की. अपनी शिक्षा के बाद, वे विभिन्न सामाजिक मुद्दों के लिए आवाज उठाने लगीं. उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और शराबबंदी के लिए अभियान चलाया. वे रियासत के खिलाफ भी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहीं.
हराया था कांग्रेस उम्मीदवार को
1953 में बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला था. यशोदा देवी ने कांग्रेस के उम्मीदवार नटवरलाल को 63.75% वोटों से हराकर चुनाव जीत लिया. उन्होंने 14,862 वोट हासिल किए, जबकि नटवरलाल को केवल 8,451 वोट मिले.
आदर्श नारी की उपाधि मिली
यशोदा देवी ने विधानसभा में महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए आवाज उठाई. वे अखिल हिंदू वनवासी महिला पंचायत की अध्यक्ष और महासचिव भी थीं. उन्हें 2003 में भैरों सिंह शेखावत ने आदर्श नारी की उपाधि दी थी.
बांसवाड़ा से अब तक तीन महिला विधायक निर्वाचित
बांसवाड़ा एक जनजाति बहुल जिला है. यहां से 1952 से अब तक केवल तीन महिला विधायक निर्वाचित हुई हैं. यशोदा देवी के अलावा, कांता भील और रमिला खड़िया ने भी बांसवाड़ा से विधानसभा चुनाव जीता है. कांता भील 1990 में गढ़ी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई थीं. रमिला खड़िया वर्तमान में कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं.
एक सशक्त महिला नेता
यशोदा देवी राजस्थान के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं. उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया और सफलता प्राप्त की. वे राजस्थान की पहली महिला विधायक होने के साथ-साथ एक सशक्त महिला नेता भी थीं. भूतपूर्व विधायक यशोदा देवी का देहावसान वर्ष 2004 में हुआ.