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This Article is From Nov 02, 2023

डीडवाना से कट सकता है युनूस खान का टिकट? नामांकन में है 4 दिन शेष, बीजेपी ने नहीं खोले पत्ते

भाजपा डीडवाना सीट को लेकर बेहद असमंजस में है कि आखिर किसे उम्मीदवार बनाया जाए? बड़ी बात यह है कि डीडवाना सीट से दावेदारों की एक लंबी लिस्ट है, जिसमें पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री यूनुस खान सबसे बड़े दावेदार है. इसके अलावा भी 10 से अधिक प्रत्याशी भाजपा की टिकट पाने के लिए कतार में लगे हुए हैं.

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डीडवाना से कट सकता है युनूस खान का टिकट? नामांकन में है 4 दिन शेष, बीजेपी ने नहीं खोले पत्ते
डीडवाना सीट के दावेदार युनूस खान
डीडवाना:

राजस्धान विधानसभा चुनाव में डीडवाना विधानसभा सीट हॉट बन चुका है, जहां टिकट दावेदोरी को लेकर रस्साकसी बढ़ गई है. बड़ी बात यह है कि नामांकन में अब महज 4 दिन शेष रह गए है. एक ओर जहां कांग्रेस ने विधायक चेतन डूडी को ही डीडवाना से उम्मीदवार बनाया है, लेकिन भाजपा डीडवाना के लिए अब तक अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है.

दरअसल, भाजपा डीडवाना सीट को लेकर बेहद असमंजस में है कि आखिर किसे उम्मीदवार बनाया जाए? बड़ी बात यह है कि डीडवाना सीट से दावेदारों की एक लंबी लिस्ट है, जिसमें पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री यूनुस खान सबसे बड़े दावेदार है. इसके अलावा भी 10 से अधिक प्रत्याशी भाजपा की टिकट पाने के लिए कतार में लगे हुए हैं.

सबसे अधिक चर्चा इस बात की है कि क्या यूनुस खान को डीडवाना से भाजपा की टिकट मिलेगी? या इस बार भी उन्हें डीडवाना से दरकिनार कर दिया जाएगा? डीडवाना शहर की चाय की थड़ी होटल, ढाबे, नुक्कड़, चौराहे, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे इलाको में बस एक ही बात की चर्चा है कि आखिर भाजपा की टिकट किसे मिलेगी? 

क्या यूनुस खान पांचवीं बार डीडवाना से भाजपा के उम्मीदवार बन पाएंगे? क्या भाजपा एक बार फिर उन पर भरोसा जता पाएगी? या पिछली बार की तरह भाजपा यूनुस खान को डीडवाना से टिकट नहीं देकर किसी अन्य उम्मीदवार को डीडवाना में उतारेगी? इन बातों की चारों ओर जबरदस्त चर्चाएं हैं.

डीडवाना में चर्चाओं का बाजार फिर से गर्म हो चला है

कल भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद से पूरे डीडवाना में चर्चाओं का बाजार फिर से गर्म हो चला है। चारों ओर इसी बात की चर्चा है कि युनूस खान को टिकट मिलेगी या कटेगी। अब यह भी चर्चाएं है कि युनूस खान का टिकट काटकर फिर से पूर्व प्रत्याशी रहे जितेंद्र सिंह जोधा को ही उम्मीदवार बनाया जा सकता है.

यह चर्चाएं अब इसलिए भी तेज हो चली है क्योंकि अब उम्मीदवारों के नामांकनों का भी दौर शुरू हो चुका है. 6 नवंबर नामांकन की अंतिम तारीख है. ऐसे में चुनावी मुकाबले में अब मात्र चार दिन बचे है, इससे यह चर्चाएं अब आम हो चली है कि आखिर भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा? 

युनूस खान ने ही खोला था भाजपा का खाता

यूनुस खान डीडवाना से भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार है. वे प्रदेश भाजपा का इकलौता मुस्लिम चेहरा भी है. यूनुस खान डीडवाना से 4 बार भाजपा के प्रत्याशी रह चुके हैं, जिसमें से दो बार यूनुस खान जीत दर्ज कर चुके हैं, जबकि दो बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा था. यह भी आश्चर्यजनक तथ्य है कि डीडवाना से भाजपा केवल दो बार ही जीत सकी है और दोनों बार ही जीत दिलाने वाले युनुस खान ही थे.

2003 से पहले तक डीडवाना से कभी भी भाजपा जीत तक नहीं सकी थी, लेकिन 2003 में यूनुस खान ने जीत दर्ज कर पहली बार डीडवाना में भाजपा का खाता खोला था. 

वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक हैं यूनुस खान

यूनुस खान पूर्व CM वसुंधरा राजे गुट के नेता माने जाते हैं. इसी कारण पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकारों में भी यूनुस खान को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन भाजपा नेतृत्व वसुंधरा राजे और उनके समर्थक नेताओं को साइड लाइन करने में जुटा है. पीएम मोदी भी अपनी सभाओं में स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि चुनाव में पार्टी का कोई मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं होगा.

परिवर्तन संकल्प यात्रा से यूनुस को दूर रखा गया

भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व व वसुंधरा राजे के बीच भी कड़वाहट की खबरें भी कई बार आती रही है. संभवत: इसी कारण युनूस खान को भी साइड लाइन किया जा रहा है. कुछ दिनों पहले जब भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा डीडवाना आई थी, तब भी यूनुस खान को दूर रखा गया था। शायद इसी वजह से युनूस खान के टिकट पर भी संशय बना हुआ है. 

ऐनवक्त तक भाजपा ने उन्हें डीडवाना से टिकट नहीं दिया और उन्हें टोंक में सचिन पायलट के सामने चुनाव लड़ने भेज दिया गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि टोंक में यूनुस खान 54179 वोटो के अंतर से हारे.

टोंक में यूनुस खान 54179 वोटो के अंतर से हारे

पिछले विधानसभा चुनाव में यूनुस खान डीडवाना से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन ऐनवक्त तक भाजपा ने उन्हें डीडवाना से टिकट नहीं दिया और उन्हें टोंक में सचिन पायलट के सामने चुनाव लड़ने भेज दिया गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि टोंक में यूनुस खान 54179 वोटो के अंतर से हारे. वहीं, डीडवाना सीट पर भी भाजपा को 40602 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था.

डीडवाना सीट से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं युनूस खान

इस बार यूनुस खान अपनी परंपरागत डीडवाना सीट से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. यूनुस खान पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुके हैं और कार्यकर्ताओं के संग चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है. युनूस खान ने भाजपा की टिकट की दावेदारी भी जताई है, लेकिन अब तक भाजपा ने किसी भी उम्मीदवार पर कोई फैसला नहीं किया है.

चर्चा में है जितेंद्र सिंह जोधा का नाम

भाजपा नेतृत्व डीडवाना सीट की टिकट को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं कर सकी है. भाजपा आलाकमान डीडवाना सीट को लेकर क्या सोच रहा है और उसकी क्या रणनीति है, अभी तक इसका खुलासा नहीं हो सका है. अंदरखाने की चर्चा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा अपने हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ रहे हैं.

डीडवाना से स्वामी ओमदास महाराज का चुनाव लड़ने को लेकर अब तक मत स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं. इसके अलावा जितेंद्र सिंह जोधा का नाम भी चर्चाओं में हैं.

स्वामी ओमदास को उम्मीदवार बनाना चाहता है संघ

संघ का एक धड़ा सांगलिया धूनी के स्वामी ओमदास महाराज को डीडवाना से उम्मीदवार बनाना चाहता है. चर्चा है कि भाजपा और संघ से जुड़े वरिष्ठ नेताओं ने ओमदास महाराज से इस बारे में कई बार चर्चा की है, हालांकि ओमदास महाराज का चुनाव लड़ने को लेकर अब तक मत स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं. इसके अलावा जितेंद्र सिंह जोधा का नाम भी चर्चाओं में हैं.

जितेंद्र सिंह जोधा को प्रत्याशी बना सकती है बीजेपी

माना जा रहा है कि युनूस खान का टिकट कटने पर जितेंद्र सिंह जोधा को प्रत्याशी बनाया जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले चुनाव में भी जब यूनुस खान को चुनाव लड़ने टोंक भेजा गया था, तब जितेंद्र सिंह जोधा को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था. ऐसे में अबकी बार भी उन्हें प्रत्याशी घोषित किया जा सकता है.

जीतेंद्र सिंह जोधा के अलावा श्याम प्रताप सिंह राठौड़, रामकिशन खीचड़, हनुमान चौधरी, कर्नल नंदकिशोर ढाका सहित कई प्रत्याशी भी टिकट पाने की रेस में हैं.

क्या भाजपा डीडवाना में कांग्रेस को चुनौती दे पाएगी?

ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारती है. भाजपा का प्रत्याशी चयन का फैसला कितना सफल होगा? और भाजपा के प्रत्याशी चयन से मतदाताओं किस हद तक प्रभावित होंगे? वहीं, भाजपा का प्रत्याशी घोषित होने के बाद चुनावी समीकरण किस तरह से बदलेगा? और क्या भाजपा कांग्रेस को चुनौती दे पाएगी या फिर से कांग्रेस यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब होगी? यह सब भविष्य के गर्भ में है.

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