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Bhatkataya Kadha Benefits: सूखी या बलगम वाली खांसी में रामबाण इलाज कांटेदार पौधा भटकटैया, काढ़ा देता है झट से आराम 

भटकटैया का भाई-बहन के पर्व भाईदूज की पूजा में जितना महत्व है, उतना ही आयुर्वेद में भी है. सूखी या बलगम वाली खांसी, बुखार, संक्रमण, वात–कफ का भी नाश करता है. अस्थमा के रोगियों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद होता है.

Bhatkataya Kadha Benefits: सूखी या बलगम वाली खांसी में रामबाण इलाज कांटेदार पौधा भटकटैया, काढ़ा देता है झट से आराम 

Bhatkataya: जे मुंह से श्रापे, उ मुंह में कांटा धंसे, हमरे भाई क उमर बढ़े...' ये वही पंक्तियां है जब बहनें भटकटैया के कांटे को भाईदूज (पर्व) के मौके पर अपने जीभ में चुभोकर बोलती हैं. केवल पर्व ही नहीं आयुर्वेद में भी भटकटैया का बहुत महत्व है. आज जानने की बारी है रेंगनी के बारे में जिसके इस्तेमाल से रोग-व्याधी कोसो दूर चले जाते हैं. रेंगनी, कंटकारी, व्याघ्री या भटकटैया... ये वो पौधा है, जिसके सेवन से खांसी में तो राहत मिलती ही है, साथ ही यह और भी कई रोगों को मौत की नींद सुला देता है.

भटकटैया का भाई-बहन के पर्व भाईदूज की पूजा में जितना महत्व है, उतना ही आयुर्वेद में भी है. सूखी या बलगम वाली खांसी, बुखार, संक्रमण, वात–कफ का भी नाश करता है. अस्थमा के रोगियों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद होता है. भटकटैया के फायदों को गिनाते हुए पंजाब स्थित बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के बीएएमएस, एमडी डॉक्टर प्रमोद आनंद तिवारी ने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर रेंगनी के सेवन से कई रोग छूमंतर हो जाते हैं.

भटकटैया का आयुर्वेद में खास स्थान है

भटकटैया के गुणों, उसके महत्व और फायदे पर बात की. उन्होंने कहा, "भटकटैया का आयुर्वेद में खास स्थान है. यह कई रोगों को दूर भगाने में सहायक तो होता ही है, इसके साथ ही यह उन लोगों के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है, जिनकी खांसी ठीक होने का नाम नहीं ले रही."

डॉक्टर तिवारी ने बताया, “भटकटैया का काढ़ा बेहद फायदेमंद होता है. इसका काढ़ा बनाने की विधि भी सरल होती है. रेंगनी के पौधे को फूल, फल, पत्ती, तना, जड़ सहित उखाड़कर लाना चाहिए और ठीक तरह से धुल लेना चाहिए. इसके बाद पौधे को किसी बड़े से बर्तन में धीमी आंच पर दो से चार घंटे तक पकाना चाहिए. इसके बाद जब बर्तन में पानी तिहाई शेष रह जाए, तब कांच की बोतलों में भरकर रख लेना चाहिए. इसे रोगी को तुरंत दिया जा सकता है और कई दिनों तक रखा भी जा सकता है.

इसके सेवन से कितनी भी पुरानी खांसी हो, वह ठीक हो जाती है

उन्होंने आगे बताया, "समय-समय पर काढ़े को गर्म भी किया जा सकता है. इसके सेवन से कितनी भी पुरानी खांसी हो, वह ठीक हो जाती है और सीने में जमा कफ भी धीरे-धीरे बाहर आ जाता है."

डॉक्टर ने बताया, कंटकारी खांसी में विशेष लाभदायी होने के साथ ही बुखार, सांस संबंधित समस्याओं में भी विशेष रूप से लाभ देता है. इससे इस मर्ज में आराम मिलता है. यह सड़कों के किनारे शुष्क जगहों पर भी सरलता से उग जाते हैं, जिस वजह से इनका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है."

पाचन के साथ ही श्वांस संबंधित समस्याओं के लिए भी आयुर्वेदाचार्य भटकटैया के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. ज्वर में रेंगनी का प्रयोग करने से शरीर का तापमान नियंत्रित होता है और मस्तिष्क भी शान्त होता है.

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