US Presidential Election 2024: यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर नजर आ रही है. अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के चुनाव (US Presidential Election) के लिए मंगलवार यानी 5 नवंबर को मतदान करेंगे. अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में वहां के स्थानीय समय के मुताबिक, सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक वोटिंग होगी. नतीजों को प्रभावित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण सभी राज्यों (स्विंग स्टेट) - पेन्सिलवेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, नेवादा, एरिजोना, जॉर्जिया और उत्तरी कैरोलिना में मतदान में मुकाबला लगभग बराबरी का ही दिख रहा है. न्यूयॉर्क टाइम्स/सिएना के अंतिम सर्वेक्षण में डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस सभी ‘स्विंग' राज्यों में रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बहुत कम अंतर से आगे चल रही हैं या लगभग बराबरी पर हैं. हालांकि एरिजोना में ट्रंप कुछ प्रतिशत अंकों से आगे हैं.
ट्रंप के खिलाफ होते रिपब्लिकन?
ट्रंप की लोकप्रियता 43 प्रतिशत के आसपास अटकी हुई है. पिछले 2 राष्ट्रपति चुनावों में, उन्हें लोकप्रिय वोट का 50 प्रतिशत हिस्सा नहीं मिल पाया था. राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने कभी 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल नहीं किए और पद छोड़ने के बाद से भी वे कभी भी 50 प्रतिशत (मत) से ऊपर नहीं गए. एक्सपर्ट्स के मुताबिक उनके समर्थन की सीमा समाप्त हो गई है और मंगलवार को लोकप्रिय वोट जीतने की उनकी संभावना बहुत कम है. यह रिपब्लिकन प्राइमरी के नामांकन में भी नजर आया. उन्होंने फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसेंटिस, संयुक्त राष्ट्र की पूर्व राजदूत निक्की हेली और कई अन्य को हराया, लेकिन इनमें से अधिकतर प्राइमरी में 15-20 प्रतिशत रिपब्लिकन ने ट्रंप के लिये मतदान नहीं किया. ऐसे में संभावना है कि मंगलवार को होने वाले चुनाव में कई रिपब्लिकन ट्रंप के लिए वोट करने के लिये न पहुंचे या अन्य लोग अपना समर्थन हैरिस को देंगे. वास्तव में, एक पार्टी के सदस्यों द्वारा दूसरे पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए समर्थकों में इतनी वृद्धि पहले कभी नहीं हुई थी.
चुनाव में कमला हैरिस के खिलाफ है ये फैक्टर!
हैरिस की रेटिंग ट्रंप से ज्यादा है, जो लगभग 46 प्रतिशत है. राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार 50 प्रतिशत अनुमोदन रेटिंग के जितना करीब होगा, चुनाव जीतने की उसकी संभावना उतनी ही बेहतर होगी. जनता की राय की बात करें तो 60-70 प्रतिशत अमेरिकियों का मानना है कि देश गलत रास्ते पर है. यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में यूनाइटेड स्टेट्स स्टडी सेंटर के नॉन रेजिडेंट सीनियर फेलो ब्रूस वोल्प के मुताबिक यह इस बात का संकेत है कि चुनाव बदलाव के बारे में है. ऐतिहासिक रूप से, यह भावना व्हाइट हाउस में बैठे व्यक्ति के पक्ष में नहीं रही है. बाइडन के उपराष्ट्रपति के रूप में, हैरिस सीधे इस प्रतिकूल परिस्थिति का सामना कर रही हैं.
इस चुनाव में 4 मुख्य मुद्दों पर होगी वोटिंग
इस चुनाव में चार मुख्य मुद्दे हैं. सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है आम आदमी की जेब का मुद्दा, घरेलू बजट, जीवन-यापन की बढ़ती लागत और भविष्य में आर्थिक सुरक्षा को लेकर मतदाताओं की चिंताएं. घर खर्च से लेकर ईंधन के दामों तक में पिछले चार वर्षों के दौरान वृद्धि हुई है. अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर ‘स्विंग' राज्यों के मतदाता मानते हैं कि ट्रंप इस मुद्दे से निपटने में ज्यादा बेहतर हैं और उन्हें इस पर करीब 15 प्रतिशत की बढ़त है. इमिग्रेशन भी ेक बड़ा मुद्दा है, जिसके लिए मतदादा ट्रंप को उपयुक्त मानते हैं.
महिला समर्थकों की वृद्धि
गर्भपात अधिकार और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं तीसरा प्रमुख मुद्दा है. अमेरिका में अनेक महिलाएं सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले से स्तब्ध हैं, जिसमें गर्भपात के उनके लंबे समय से चले आ रहे संवैधानिक अधिकार को छीन लिया गया है. अब इस पर नीतियों का निर्धारण राज्य स्तर पर हो रहा है. हैरिस को इन मुद्दों की ‘चैंपियन' के रूप में देखा जाता है. कई सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मतदाता प्रजनन अधिकारों के मामले में ट्रंप की तुलना में उन पर अधिक भरोसा करते हैं, जिसमें बड़ा अंतर भी नजर आ रहा है. इसके साथ ही नागरिक अमेरिकी लोकतंत्र के भविष्य को लेकर भी वोट करेंगे. एक नये सर्वेक्षण में आधे से ज्यादा मतदाता ट्रंप को अमेरिकी लोकतंत्र के लिये खतरे के तौर पर देखते हैं.
कौन जीतेगा इलेक्शन?
ट्रंप की टीम को सभी सर्वेक्षणों में जीत मिलती दिख रही है. हैरिस के अभियान ने सप्ताहांत में यह भी संकेत दिया कि देर से निर्णय लेने वाले मतदाता और विशेष रूप से महिलाएं, दोहरे अंकों के अंतर से उनका रास्ता बना रही हैं. डेमोक्रेट्स के बीच यह भावना है कि अभियान के समापन के साथ हैरिस (की लोकप्रियता) अब चरम पर हैं. ऐसे में यदि हैरिस जीतती हैं तो ऐसा इसलिए होगा क्योंकि उन्होंने मतदाताओं के साथ समझौता सफलतापूर्वक कर लिया है और चुनाव को ट्रंप के लिए जनमत संग्रह बना दिया है. शायद इसका यह भी मतलब होगा कि पिछले 8 वर्षों के बाद देश उनसे तंग आ चुका है.
यदि ट्रंप जीतते हैं तो इसका अर्थ यह होगा कि मतदाताओं ने मुद्रास्फीति और घरेलू जीवन-यापन की लागत को नियंत्रित करने के लिए उन पर भरोसा किया है, साथ ही वे अनियंत्रित इमिग्रेशन और अपराध को भी नियंत्रित करने में (उनके दावों पर) विश्वास करते हैं.
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